Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. ‘अलगाववाद’ से मुकाबले के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों के प्रवेश पर रोक लगाई

‘अलगाववाद’ से मुकाबले के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों के प्रवेश पर रोक लगाई

फ्रांस की सरकार ने अपने देश में विदेशी इमामों और मुस्लिम टीचर्स के आने पर रोक लगा दी है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 21, 2020 8:09 IST
Emmanuel Macron, Emmanuel Macron Imam, Emmanuel Macron Muslim Teachers, Emmanuel Macron French Musli- India TV Hindi
Emmanuel Macron unveils curbs on foreign imams in France to combat ‘separatism’ | AP File

पेरिस: फ्रांस की सरकार ने अपने देश में विदेशी इमामों और मुस्लिम टीचर्स के आने पर रोक लगा दी है। देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला कट्टरपंथ और अलगाववाद को रोकने के लिए लिया है। इसके साथ ही मैक्रों ने यह भी साफ किया कि फ्रांस में रह रहे सभी इमामों को फ्रेंच सीखना अनिवार्य होगा। फ्रांस के राष्ट्रपति ने आगाह किया कि देश में रहने वाले लोगों को सख्ती से कानून का पालन करना होगा।

‘कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ा’

पूर्वी फ्रांस के मुस्लिम बहुल शहर मुलहाउस के दौरे के दौरान फ्रेंच राष्ट्रपति ने कहा कि हम विदेशी इमामों और मुस्लिम टीचर्स की एंट्री को बैन कर रहे हैं। मैक्रों ने कहा कि इनकी वजह से देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ा है और इसके अलावा विदेशी दखलंदाजी भी नजर आती है। उन्होंने कहा कि दिक्कत तब होती है जब मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते। बता दें कि मैक्रों ने अभी तक मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों से दूरी बनाकर चल रहे थे और अपना पूरा ध्यान आर्थिक सुधारों पर लगा रहे थे।

फ्रांस में बड़ी संख्या में रहते हैं मुसलमान
2019 में फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी जिसमें लगभग 60 लाख मुसलमान हैं। फ्रांस ने अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की समेत 9 देशों के साथ समझौता किया है जिसके मुताबिक ये देश अपने इमाम, इस्लामिक टीचर्स और स्कॉलर्स को फ्रांस भेज सकते हैं। समझौते में यह भी शर्त थी कि फ्रांस में अधिकारी इन इमामों या शिक्षकों के काम की निगरानी नहीं कर सकते। 43 साल पुराना यह समझौता 2020 के बाद खत्म हो जाएगा और मैक्रों का इरादा इसे आगे बढ़ाने का नहीं लगता। बता दें कि हर साल 300 इमाम करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देने फ्रांस आते थे।

‘फ्रांस में तुर्की का कानून नहीं चल सकता’
एक सवाल के जवाब में फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश में तुर्की का कानून नहीं चल सकता। उन्होंने कहा, 'मैं किसी भी देश को, चाहे वह कोई भी हो, अलगाववाद को बढ़ाने का मौका नहीं दूंगा। आप फ्रांस की जमीन पर तुर्की का कानून लागू नहीं कर सकते।' उन्होंने कहा कि वह फ्रांस में रह रहे तुर्क लोगों को फ्रेंच मानते हैं। मैक्रों ने कहा कि मैं चाहता हूं कि वे फ्रेंच जैसा बर्ताव करें और देश के बाकी लोगों जैसे अधिकार उन्हें भी मिलें लेकिन उन्हें भी उसी कानून का पालन करना होगा। बता दें कि फ्रांस में अलगाववाद पर नकेल कसने और फंडिंग में पारदर्शिता लाने के क्रम में सरकार ने बीते कुछ महीनों में कई मस्जिदों और संस्थाओं को बंद किया है।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement