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इमानुएल मैक्रों के राजनीतिक नौसिखिया से फ्रांस के युवा राष्ट्रपति बनने तक का सफर

फ्रांस का राष्ट्रपति चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाले इमानुएल मैक्रों देश के सबसे युवा राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। मैक्रों ने अपने करियर की शुरुआत एक नौकरशाह के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने निवेश बैंकर के रूप में हाथ आजमाया और अब वह देश के नए .....

IANS
Updated on: May 08, 2017 13:45 IST
Macron
- India TV Hindi
Image Source : PTI Macron

पेरिस: फ्रांस का राष्ट्रपति चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाले इमानुएल मैक्रों देश के सबसे युवा राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। मैक्रों ने अपने करियर की शुरुआत एक नौकरशाह के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने निवेश बैंकर के रूप में हाथ आजमाया और अब वह देश के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।

'एन मार्शे!' नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन करने वाले मैक्रों (39) उदार मध्यमार्गी हैं। उन्हें किस्मत का धनी ही कहा जाएगा कि पहली बार चुनाव लड़कर और उसे जीतकर वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने जा रहे हैं। उनके पास किसी परंपरागत पार्टी का समर्थन नहीं था और न ही मतदाताओं का आधार।

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इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके आलोचकों ने उन्हें नौसिखिया कहा। वह देश के मौजूदा राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के नेतृत्व में दो सिर्फ दो वर्ष तक अर्थव्यवस्था मंत्री के पद पर रहे और सिर्फ यही उनका राजनीतिक अनुभव रहा। मैक्रों ने एक नौकरशाह से राष्ट्रपति चुनाव जीतने तक का सफर तय किया है।

वह यूरोपीय संघ के कट्टर समर्थक हैं और फ्रांस को यूरोपीय संघ से जोड़े रखना चाहते हैं।

उन्होंने स्वयं को एक प्रगतिशील शख्स के रूप में पेश किया है, जो न ही वामपंथी विचाधारा से प्रभावित है और न ही दक्षिणपंथी विचारधारा से। वह आर्थिक रूप से उदार, कारोबार समर्थक हैं लेकिन वह एक संप्रभु देश में किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता, समानता और आव्रजन सहित सामाजिक मुद्दों पर वामपंथी विचारधारा से प्रेरित हैं।

मैक्रों ने चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी की समस्या को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा, जिसे राष्ट्रपति ओलांद उठाने में असफल रहे। मैक्रों ने बेरोजगारी दर को सात फीसदी से नीचे रखने की बात कही है। वह सार्वजनिक क्षेत्र के 120,000 रोजगारों में कटौती करने, सरकारी खर्च को 60 अरब (65 अरब डॉलर) तक घटाने और अरबों डॉलर निवेश करने पर जोर देने वाले हैं।

उनकी नीतियों में देश की असफल राजनीतिक व्यवस्था को दुरुस्त करना, श्रम कानूनों में रियायत बरतना, सामाजिक गतिशीलता को प्रोत्साहित करना, सांसदों की संख्या घटाना और एक यूरोजोन सरकार का गठन करना है।

मैक्रों ने देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कई कारोबार अनुकूल कदम पेश किए हैं। वह आतंकवाद के खिलाफ जंग को लेकर खासे मुखर हैं। उन्होंने रक्षा खर्च बढ़ाने, 10,000 अधिक पुलिसकर्मियों को नियुक्त करने और आतंकवादी संगठन इस्लामिक (आईएस) स्टेट से हर वक्त लड़ने के लिए मुस्तैद रहने वाले कार्यबल का गठन करने का ऐलान किया है।

वह शिक्षकों के लिए बेहतर भुगतान के भी हिमायती हैं। मैक्रों की पत्नी ब्रिजिट ट्रॉगनेक्स शिक्षिका रह चुकी हैं और उम्र में उनसे 24 साल बड़ी हैं। मैक्रों की जब ब्रिजिट से पहली बार मुलाकात हुई तब वह 15 वर्ष के थे। 18 वर्ष की उम्र में दोनों का रिश्ता आधिकारिक हो गया। मैक्रों का कहना है कि प्रचार भाषण तैयार करने में उनकी पत्नी की अहम भूमिका रही है।

मैक्रों की राजनीति पर उनकी पत्नी ब्रिजिट का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। उनके घोषणा-पत्र में शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है।

मैक्रों ने व्यापक विदेश नीति के स्तर पर भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वार्ता करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने सीरिया तथा ऐसे अन्य स्थानों पर चिरस्थाई राजनीतिक समाधान के लिए रूस, ईरान, तुर्की और सऊदी अरब के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी जताई है।

मैक्रों का जन्म 21 दिसंबर, 1977 में फ्रांस के उत्तरी शहर एमियेन्ज में हुआ था। उनकी मां फ्रांस्वा नोगेस फिजिशियन और पिता ज्यां-मिशेल मैक्रों न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर थे।

उन्होंने स्ट्रासबर्ग में इकोल नेशनल डे एडमिनिस्ट्रिेशन में एक वरिष्ठ नौकरशाह का प्रशिक्षण लेने से पहले साइंसेज पो यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक मामलों के विषय में मास्टर्स डिग्री हासिल की। उन्होंने 2004 में स्नातक की डिग्री हासिल की।

हालांकि, उन्होंने राजनीति में जाने की बजाय रोथशिल्ड बैंक में काम करना शुरू किया। वह 2006 में सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य बने। वह 2012 से 2014 तक राष्ट्रपति ओलांद के सलाहकार के पद पर रहे, लेकिन बाद में उन्होंने यह पद छोड़ दिया।

उनकी 26 अगस्त 2014 को राजनीति में वापसी हुई और उन्हें ओलांद सरकार में अर्थव्यवस्था मंत्री नियुक्त किया गया। उन्हें एक उदारावदी नेता, वित्त के मामले में संयमितता बरतने वाले और उदारवादी बाजार के हिमायती के तौर पर देखा जाता रहा है।

उन्होंने 2015 में एक निर्दलीय नेता के तौर पर खुद को पेश किया। उन्होंने अगस्त 2016 में सरकार से इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद मैक्रों ने एक नई पार्टी 'एन मार्शे!' का गठन किया। वह इस पार्टी को वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा का मिलाजुला संगम बताते हैं।

 

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