लंदन: डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद को 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें यह पुरस्कार युद्ध के दौरान यौन हिंसा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल को खत्म करने की कोशिशों के लिए दिया गया है। डेनिस अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो से आते हैं जबकि नादिया एक यजीदी हैं और इराक की रहने वाली हैं।
डेनिस ने अपना पूरा जीवन युद्ध के दौरान यौन हिंसा का शिकार हुए लोगों को बचाने में लगा दिया। उन्हें पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए कमिटी ने कहा कि वह 'युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में यौन हिंसा को खत्म करने के संघर्ष के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण और सबसे एकीकृत प्रतीक हैं।' नादिया मुराद की बात करें तो वह इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय से आती हैं। उन्हें इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था और कई बार उनका रेप किया।
उनके साथ अन्य तमाम तरह की ज्यादतियां भी की गईं। नोबेल पीस प्राइज 2018 के लिए नादिया के नाम की घोषणा करते हुए कमिटी ने कहा कि 'अपने ऊपर हुई ज्यादतियों को याद करते हुए उन्होंने असीम बहादुरी दिखाई थी।'
25 वर्षीय नादिया नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाली दूसरी सबसे युवा शख्सियत हैं। 2014 में मलाला युसूफजई ने सिर्फ 17 साल की उम्र में यह पुरस्कार जीता था।