लंदन: ब्रिटेन में आज से कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही दुनिया को इस महामारी से निजात दिलाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल शुरू हो गया है। ब्रिटेन में बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू हुई इस परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों को ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन 'ChAdOx1 nCoV-19' से काफी उम्मीद है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दवा खोजने की कोशिश में हर संभव प्रयास कर रहा है क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए यह एक कारगर तरीका है।
हैनकॉक ने कहा कि कोरोना वायरस का वैक्सीन खोजने के वैश्विक प्रयासों में ब्रिटेन अगुवा है। वह किसी अन्य देश की तुलना में वैक्सीन की खोज में ज्यादा पैसे डाल रहे हैं। दवा तैयार करना सिर्फ परीक्षण और टेस्ट फेल होने का विषय है, लेकिन ब्रिटेन सही वैक्सीन की तलाश की कोशिश में हर चीज झोंकने या कुर्बान करने के लिए तैयार है।
ऑक्सफोर्ड की शोध निदेशक प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने अनुमान लगाया कि वैक्सीन के सफल होने की लगभग 80 प्रतिशत संभावना है। वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार इसे लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्ट को चिंता भी है।
वैज्ञानिकों को इस बात का डर है कि यदि इसमें कुछ भी गलत हुआ तो हजारों-लाखों लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं। लैब की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वालांसे भी इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं।
ब्रिटेन में 165 अस्पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण होगा। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग के प्रफेसर पीटर हॉर्बी ने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अनुमान है कि जून में किसी समय कुछ परिणाम आ सकते हैं।