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परमाणु प्रतिबंध के लिए भारत को पर्यवेक्षक बनाने का प्रस्ताव

भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि यह महज पांच परमाणु संपन्न देश चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के हित में थी। इस दिशा में भारत पूर्णतया परमाणु हथियारों के प्रतिबंध पर सहमत था।

Reported by: IANS
Published : May 17, 2019 7:02 IST
परमाणु प्रतिबंध के लिए भारत को पर्यवेक्षक बनाने का प्रस्ताव
परमाणु प्रतिबंध के लिए भारत को पर्यवेक्षक बनाने का प्रस्ताव

वियना: सीटीबीटीओ (दि कॉपंरिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन) ने भारत को पर्यवेक्षक की भूमिका निभाने का प्रस्ताव देते हुए आईएमएस (इंटरनेशनल मॉनीटरिंग सिस्टम) तक पहुंच स्थापित करने की बात कही है।

आस्ट्रिया की राजधानी वियना में स्थित सीटीबीटीओ हेडक्वार्टर में कार्यकारी सचिव लेसिना जेरबो ने भारतीय पत्रकारों के समूह को संबोधित करते हुए कहा, "मैं इसके लिए किसी अनुबंध की बात नहीं कर रहा हूं। मगर मैं सोचता हूं कि इसकी शुरुआत के लिए भारत को मौका देना बेहतरीन कदम हो सकता है।"

सीटीबीटीओ इंटरनेशनल मॉनीटरिंग सिस्टम चलाती है जोकि सभी जगहों के परमाणु हथियारों एवं विस्फोट पर अपनी नजर बनाए रखती है और साथ ही इसकी रिपोर्ट अपने सदस्यों को भी भेजती है। वर्तमान में आईएमएस के पास 89 देशों में कुल 337 केंद्र हैं।

जेरबो ने कहा, "मैं मानती हूं कि भारत इस संबंध में काफी डाटा एकत्रित करेगा जोकि अभी तक आपके पास नहीं है। आप कहीं भी समानता से जरूरत का डाटा एकत्रित कर भूकंप व परमाणु से संबंधित विकिरण का पता लगा सकते हैं।"

सीटीबीटी विश्वभर में परमाणु विस्फोट पर प्रतिबंध को लेकर एक वैश्विक संधि है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंगीकृत करने के बाद 1996 में इसे हस्ताक्षर के लिए रखा गया था। यह संधि लागू होनी इसलिए ही जरूरी हो गई थी कि कई देशों द्वारा इस संबंध में पक्षपात जैसा रवैया अपनाया जा रहा था, जिनमें भारत भी शामिल था। 

भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि यह महज पांच परमाणु संपन्न देश चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के हित में थी। इस दिशा में भारत पूर्णतया परमाणु हथियारों के प्रतिबंध पर सहमत था।

अमेरिका और चीन ने हालांकि इस संधि पर हस्ताक्षर किए। मगर हस्ताक्षर के बावजूद वह इसे प्रमाणित नहीं कर पाए। इस संधि पर पाकिस्तान ने भी अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

जेरबो ने स्पष्ट किया कि चीन पांच आईएमएस स्टेशन स्थापित करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी पर्यवेक्षक के तौर पर संस्थान में शामिल हुआ है। उन्होंने भारत को 24 से 28 जून के बीच वियना में होने वाली विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांफ्रेंस में हिस्सा लेने का निमंत्रण दिया।

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