पेरिस: भारत ने ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौते को अंगीकार किए जाने के इस अवसर को ऐतिहासिक दिन करार देते हुए कहा है कि यह एक बेहतर भविष्य का वादा करता है और सात अरब लोगों के जीवन में उम्मीद का एक अध्याय जोड़ता है। समझौते को भारत एवं अन्य विकासशील देशों के विकास से जुड़ी आवश्यकताओं को समझने वाला बताते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह समझौता उनके विकास के अधिकार को भी बल देता है और विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के उनके प्रयासों को भी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह सबसे कमजोर :देशों: के हितों की भी रक्षा करता है।
जावड़ेकर ने कहा, आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमने सिर्फ एक समझौता ही अंगीकार नहीं किया है बल्कि सात अरब लोगों के जीवन में उम्मीद का एक नया अध्याय जोड़ा है। महात्मा गांधीजी कहा करते थे कि हमने इस धरती को पूर्वजों से विरासत में नहीं लिया है, बल्कि हमने इसे भावी पीढि़यों से एक रिण के रूप में लिया है। समझौता अंगीकार किए जाने के बाद पूर्ण सत्र में उन्होंने कहा, हमने आज अपनी भावी पीढि़यों को यह आश्वासन दिया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजी चुनौती को कम करने के लिए हम सब मिलकर काम करेंगे और हम उन्हें एक बेहतर भविष्य देंगे।
जावड़ेकर ने हालांकि यह भी कहा कि विकसित देशों द्वारा उठाए गए कदम उनकी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों और उचित हिस्सेदारियों से कहीं कम हैं वर्ना यह समझौता कहीं अधिक महत्वाकांक्षी हो सकता था। उन्होंने कहा, विकसित देशों द्वारा उठाए गए कदम उनकी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों और उचित हिस्सेदारियों से कहीं कम हैं। समझौते के कई प्रावधानों पर हम बीच का रास्ता निकालने की भावना के साथ राजी हुए हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक इंटरनेशनल सोलर अलायंस :अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन: भी शुरू किया गया। उन्होंने इसे सौर उर्जा विकास को अभूतपूर्व बढ़ावा देने वाली एक उपलब्धि बताया।