लंदन: ब्रिटेन की एक संसदीय समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बात के सबूत मौजूद हैं कि विभिन्न बहुपक्षीय संगठनों में अपनी स्थिति मजबूत करने या वहां अपने उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण आधिकारिक पद दिलाने के लिए चीन दूसरे देशों के प्रति अपनी आक्रामकता का इस्तेमाल कर रहा है और उन्हें डरा-धमका रहा है। द हाउस ऑफ कॉमंस फॉरेन अफेयर्स कमेटी (FAC) ने कहा कि इससे संबंधित सबूत मौजूद हैं कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संगठनों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ‘दादागीरी’ का इस्तेमाल कर रहा है।
समिति ने रिपोर्ट में आह्वान किया है कि ब्रिटेन को उन देशों के प्रभाव से निपटने के लिए अग्र-सक्रिय ढंग से काम करना चाहिए जो बहुपक्षीय संगठनों को गलत तरीके से प्रभावित करने और उन्हें कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भी चीन की ओर से आक्रामक कूटनीति या ‘दादागीरी’ का इस्तेमाल देखा जा सकता है। FAC के अध्यक्ष एवं कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद टॉम टुगेनहाट ने कहा, ‘यह वास्तविक खतरा है कि बहुपक्षीय संगठन लोकतांत्रिक देशों की जगह तानाशाही वाले देशों के नियंत्रण में जा सकते हैं।’
टॉम टुगेनहाट ने कहा, ‘यदि हम चाहते हैं कि हमारी आवाज सुनी जाए तो हमें अमेरिका, यूरोप और विश्व में अपने साझेदारों के साथ काम करने की आवश्यकता है।’ रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरपोल, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत और यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय संगठनों पर केंद्रित है।