लंदन: ब्रिटेन की पुलिस जेल में हुए दंगे को शांत करने की कोशिश कर रही है। ब्रिटेन की जेलों में खूनखराबा होने के बारे में द प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन (पीओए) की चेतावनी के कुछ ही दिन बाद मध्य इंग्लैंड के बेडफोर्ड स्थित कारागार में करीब 200 कैदियों ने कल दंगा किया। दंगा होने के बाद कल शाम स्थानीय समयानुसार पांच बजे से पहले (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार 17 बजे) पुलिस, एंबुलेन्स और दमकल सेवाओं को बुलाया गया।
द प्रिजन ऑफिसर्स एसोसिएशन (पीओए) के महासचिव स्टीव गिलेन का अनुमान है कि करीब 200 कैदियों ने दंगा किया। उन्होंने बताया कि वहां मौजूद जेल अधिकारियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया जिसके बाद बड़ी संख्या में कैदी बाहर आ गए। पुलिस की एक प्रवक्ता ने बताया कि बेडफोर्ड जेल में करीब 500 कैदी हैं और हालात काबू में करने के लिए कई अधिकारी प्रयासरत हैं। जेल में अशांति फैलने के बाद प्रिजन सर्विस के प्रवक्ता ने चेताया कि दंगे में शामिल कैदियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी और जेल में रहने की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है।
कुछ ही दिन पहले पीओए के प्रमुख माइक रोल्फ ने जेलों के बदतर हालात के मद्देनजर वहां खूनखराबा होने की चेतावनी दी थी। उन्होंने बीबीसी रेडियो फोर से कहा था कभी भी जेलों में खूनखराबा हो सकता है। उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों की संख्या कम है और स्थिति चिंताजनक है। पिछले माह लंदन के पेन्टोनविले जेल में 21 वर्षीय कैदी की चाकू मार कर हत्या कर दी गई थी। गत 29 अक्तूबर को एक राष्ट्रीय प्रतिक्रिया दल को दक्षिण पूर्वी इंग्लैंड की ईस्ट ससेक्स जेल में कैदियों को नियंत्रित करने के लिए बुलाया गया था जहां करीब छह घंटे तक गतिरोध चला था।
शुक्रवार को न्याय मंत्रालय ने जेलों में सुधार कार्यक्रम के तहत 2,500 नए रोजगार सृजित करने का ऐलान किया था। सरकार ने जेल में मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या से निपटने के लिए 12.5 करोड़ डॉलर से अधिक का सालाना निवेश करने का वादा भी किया। बेडफोर्ड जेल के बिगड़ते हालात का जिक्र निगरानी संस्था एचएम इन्स्पेक्टॉरेट ऑफ प्रिजन्स ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट में भी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा कहने वाले कैदियों की संख्या फरवरी 2014 के बाद से लगभग दोगुनी हो गई है कि जेल में नशीले पदार्थ हासिल करना बहुत ही आसान है। रिपोर्ट में कपड़ों की कमी, खराब हालात, हिंसा तथा धमकाने की प्रवृत्ति से निपटने की कमजोर व्यवस्था का भी जिक्र है।