नई दिल्ली: ब्रिटेन में एक भारतीय कपल के साथ हुए नस्ली भेदभाव का मामला सामने आया है। दरअसल बात तब की है जब ब्रिटेन में ही रहने वाले एक भारतीय जोड़े ने बच्चा गोद लेने की सोची। भारतीय मूल का यह पंजाबी कपल जब ब्रिटेन की ही एक बच्चा गोद देने वाली एजेंसी के पास गया तो उन्होनें इस जोड़े को श्वेत बच्चा देने से साफ इंकार कर दिया। इंकार करते हुए एजेंसी ने यह कहा कि 'आप भारतीय मूल के हैं, इसलिए हम आपको भारत से ही बच्चा गोद लेने की सलाह देंगे।'
बर्कशर के रहने वाले संदीप और रीना मंदर बिना किसी भेदभाव के किसी भी नस्ल का बच्चा गोद लेना चाहते थे। जिस कारण जब वह गोद देने वाली इस एजेंसी के पास गए तो वहां से उन्हें उल्टे पांव लौटा दिया गया। (जिन बेटियों को लिया गोद, उन्हीं के साथ किया 729 बार बलात्कार)
एजेंसी का यह भी कहना था कि 'यहां पर केवल श्वेत बच्चे ही गोद दिए जाते हैं क्योंकि इन बच्चों की डिमांड ब्रिटिश और श्वेत कपलस में ज़्यादा है, इसी कारण हम भारतीय मूल के किसी भी जोड़े को बच्चा गोद नहीं दे सकते।'
चर्चा में आने के बाद मंगलवार को यह मुद्दा ब्रिटिश की मीडीया में काफी हाइलाइट किया गया। जिनमें प्रमुख तौर पर यह कहा गया कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में नस्ली भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस मामले में स्वयं बच्चा गोद लेने के इच्छुक संदीप का कहना है कि 'हम केवल एक ही बच्चा गोद लेना चाहते थे, हम उसे पालने में पूर्ण रूप से समर्थ हैं। हमारे पास उसे पालने के सारे साधन हैं, हमें बच्चे की नसल से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन नस्ल के आधार पर होने वाले भेदभाव की हमें उम्मीद नहीं थी।
कुछ एक्सपर्ट का कहना यह भी है कि 'ब्रिटेन की बच्चा गोद लेने वाली संस्था को यह आधिकार दिया गया है कि वह नस्ल के आधार पर बच्चा उसी कपल को दे सकते हैं जिस नस्ल का वो बच्चा है ' (स्कूल की शर्मनाक हरकत, ब्रिटेन में बच्चों से लिखवाया सुसाइड नोट)