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साल 2001 में भारत-पाक परमाणु युद्ध की आशंका से डर गया था ब्रिटेन

साल 2003 में छेड़े गए इराक युद्ध के मामले में जांच करने वाली समिति को पेश किए गए सबूतों के अनुसार ब्रिटेन को 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की आशंका थी।

India TV News Desk
Published on: July 07, 2016 6:58 IST
nuclear attack- India TV Hindi
nuclear attack

लंदन: साल 2003 में छेड़े गए इराक युद्ध के मामले में जांच करने वाली समिति को पेश किए गए सबूतों के अनुसार ब्रिटेन को 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के मद्देनजर भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की आशंका थी और उसने दोनों देशों को सैन्य टकराव को समाप्त करने के लिए समझाने और मनाने का प्रयास किया था। इराक युद्ध पर जांच रिपोर्ट आज सार्वजनिक की गई है।

तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ ने शिलकॉट जांच आयोग के समक्ष गवाही के दौरान ये खुलासे किए थे। शिलकॉट की रिपोर्ट में बताया गया कि 2003 में इराक युद्ध दोषपूर्ण खुफिया जानकारी पर आधारित था। स्ट्रॉ ने उस समय के अन्य बड़े मुद्दों को रेखांकित करते हुए कहा था कि वह हर घंटे भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर चिंतित थे जिसने उनके तत्कालीन अमेरिकी समकक्ष कॉलिन पॉवेल के साथ उनके करीबी संबंधों का आधार तैयार किया।

जनवरी 2010 को जांच समिति को दिए गए ज्ञापन में स्ट्रॉ ने कहा था, 9-11 के तत्काल बाद ब्रिटेन के लिए विदेश नीति की प्राथमिकता अफगानिस्तान था। साल के समाप्त होते होते 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव की आशंका ने ब्रिटेन सरकार और अमेरिका के लिए चिंता पैदा कर दी। उन्होंने कहा, इतने गंभीर क्षेत्रीय टकराव को रोकने का अमेरिका-ब्रिटेन का संयुक्त प्रयास उस बहुत करीबी संबंध की बुनियाद बना था जो मैंने अमेरिका के विदेश मंत्री जनरल कॉलिन पॉवेल के साथ विकसित किए थे।

स्ट्रॉ के बयान का उनके विदेश कार्यालय के प्रवक्ता तथा तत्कालीन मीडिया सलाहकार जॉन विलियम्स ने समर्थन किया था जिन्होंने जांच समिति से कहा था, विदेश मंत्री मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर पहुंचने से रोकने के लिए प्रयासरत थे जो आसानी से परमाणु युद्ध की शक्ल ले सकता था। बाद में फरवरी, 2011 में शिलकॉट समिति के सामने व्यक्तिगत रूप से अपने बयान में स्ट्रॉ ने एक बार फिर साबित करने का प्रयास किया कि 2002 से पहले उनके विदेश नीति एजेंडा में इराक पर गंभीर विचार नहीं किया गया था।

उन्होंने भारत और पाकिस्तान जैसी दो परमाणु शक्तियों के बीच बढ़ते तनाव का उल्लेख किया था। स्टॉ ने कहा, तब 13 दिसंबर 2001 को इस्लामी आतंकवादियों ने दिल्ली में लोकसभा के खिलाफ हमला कर दिया। जिसके बाद कुछ घटनाक्रम घटे, जिनके चलते कुछ महीनों के अंदर भारत और पाकिस्तान द्वारा परंपरागत बलों की लामबंदी शुरू हो गई और आशंका पैदा हुई कि वे अपनी परमाणु ताकत से एक दूसरे को धमकाना शुरू कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, मैं उसमें पूरी तरह मग्न हो गया। कॉलिन पॉवेल और उनके सहयोगी डेविड मैनिंग के साथ हम उस पूरी अवधि में भारतीयों और पाकिस्तानियों को सैन्य टकराव से बचने के लिहाज से मनाने और समझाने के लिए भारत और पाकिस्तान से बात करते रहे। यह हमारी चिंता थी। इराक युद्ध पर बुधवार को जांच समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष पूर्व नौकरशाह जॉन शिलकॉट थे और इसमें हॉउस ऑफ लॉड्र्स की भारतीय मूल की सदस्य बैरोनेस उषा पाराशर शामिल रहीं।

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