यूरोप: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद उत्पन्न हुई स्थिति के लिए G-7 लीडर्स की इमरजेंसी बैठक बुलाई है। बोरिस जॉनसन ने रविवार को कहा कि मानवीय संकट रोकने के लिए इंटरनेशनल कम्यूनिटी एक साथ काम करे। अफगान लोगों की 20 साल की मेहनत सुरक्षित करने में सभी सहयोग करें। लोगों के लिए सेफ इवैक्युएशन सुनिश्चित होना चाहिए।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वह 'अफगानिस्तान की स्थिति पर तत्काल बातचीत' के लिए मंगलवार को 7 देशों के समूह के नेताओं की एक बैठक बुलाएंगे। जॉनसन ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय लोगों को सुरक्षित निकालना सुनिश्चित करने, मानवीय संकट को रोकने और पिछले 20 वर्षों की मेहनत को सुरक्षित करने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करे।'
बता दें कि, ब्रिटेन इस साल जी-7 देशों की अध्यक्षता कर रहा है। इस समूह में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल है। गौरतलब है कि दो दशक बाद अमेरिकी सेना के देश से वापसी के बीच तालिबान ने राजधानी काबुल समेत अफगानिस्तान के सभी प्रमुख कस्बों और शहरों पर कब्जा कर लिया है।
जी 7 देशों के नेताओं के साथ अफगानिस्तान की नीति पर वार्ता करेंगे बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अफगानिस्तान संबंधी नीति पर करीबी समन्वय के बारे में चर्चा करने के लिए जी7 समूह के सदस्य देशों के नेताओं के साथ 24 अगस्त को डिजिटल बैठक करेंगे। यह जानकारी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने रविवार को दी। साकी ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रपति जो बाइडन 24 अगस्त को जी7 देशों के अन्य नेताओं के साथ डिजिटल तरीके से बैठक कर सकते हैं। ये नेता अफगानिस्तान नीति पर अपना करीबी समन्वय जारी रखने और हमारे नागरिकों, पिछले दो दशक में हमारे साथ डटे रहे बहादुर अफगानों और अन्य कमजोर अफगान नागरिकों को वहां से निकालने पर चर्चा करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि जी7 के नेता अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता और सहयोग प्रदान करने की योजनाओं पर भी विचार-विमर्श करेंगे। यह बैठक बाइडन की जी7 के नेताओं-ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों और इतालवी प्रधानमंत्री मारियो द्राघी के साथ इस सप्ताह फोन पर हुई बातचीत के आगे के क्रम में होगी।
अफगानिस्तान से चार हजार लोगों को निकाला: ब्रिटेन
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि देश के सशस्त्र बलों ने 13 अगस्त से अब तक लगभग चार हजार लोगों को अफगानिस्तान से निकाला है। हालांकि मंत्रालय ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी। लेकिन यह स्पष्ट है कि ब्रिटिश सैनिकों द्वारा निकाले गए अधिकतर लोग अफगान हैं जिन्होंने पिछले 20 वर्षों में ब्रिटेन की मदद की है। इन चार हजार लोगों या ब्रिटिश नागरिकों के अलावा, लगभग पांच हजार अफगान सहयोगी, जैसे अनुवादकों और चालकों के वास्ते विमान में सीट निर्धारित की गई हैं।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि पिछले बुधवार तक ब्रिटेन 2,000 से अधिक अफगानों और ब्रिटेन के 300 या इससे अधिक नागरिकों को बाहर निकालने में सफल रहा था। मंत्रालय ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, ‘‘ब्रिटिश नागरिकों और अफगान नागरिकों को सुरक्षित ढंग से निकालने के लिए हमारे सशस्त्र बल काबुल हवाईअड्डे पर अथक प्रयास कर रहे हैं।’
आवश्यकता हुई तो तालिबान के साथ काम करने का रास्ता खुला है : बोरिस जॉनसन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि अफगानिस्तान में समाधान तलाशने के लिए ब्रिटेन के कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, जिसमें ''यदि आवश्यक हुई'' तो तालिबान के साथ काम करने का रास्ता भी खुला है। क्षेत्र में जारी संकट पर चर्चा के लिए बीते शुक्रवार को एक आपातकालीन ''कैबिनेट ऑफिस ब्रीफिंग रूम'' (कोबरा) की बैठक के बाद जॉनसन ने मीडिया से कहा कि काबुल हवाई अड्डे से ब्रिटिश नागरिकों और समर्थकों को निकालने के लिए ''कठिन'' चुनौतियां बनी हुई हैं, हालांकि स्थिति अब कुछ बेहतर हो रही है। जॉनसन ने कहा, ''मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के लिए समाधान तलाशने के हमारे राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास जारी रहेंगे, ऐसे में निश्चित रूप से, अगर जरूरी हुआ तो तालिबान के साथ काम करना शामिल है। अफगानिस्तान के लिए हमारी प्रतिबद्धता स्थायी है।''
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ब्लेयर ने अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी को दुखद करार दिया
अमेरिका पर 20 साल पहले हुए 9/11 हमले के बाद अफगानिस्तान में सैनिकों को भेजने वाले ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का कहना है कि अमेरिका के वापसी के फैसले से “दुनिया का प्रत्येक जिहादी समूह खुश है।” शनिवार को अपनी वेबसाइट पर लिखे एक लंबे आलेख में ब्लेयर ने कहा कि अचानक सैनिकों की वापसी के कारण तालिबान को सत्ता पर काबिज होने का अवसर मिल गया, जिसके चलते लड़कियों की शिक्षा और जीने के स्तर में हुए सुधार समेत उन सभी चीजों पर पानी फिर गया, जो पिछले 20 साल में अफगानिस्तान में हासिल की गई थीं।
वर्ष 1997-2007 के दौरान प्रधानमंत्री रहे ब्लेयर ने कहा, '' अफगानिस्तान और उसकी जनता को अकेला छोड़ देना दुखद, खतरनाक और गैर-जरूरी था जो कि ना उनके और ना ही हमारे हित में है। दुनिया अब पश्चिम के रुख को लेकर अनिश्चित है क्योंकि यह स्पष्ट है कि अफगानिस्तान से इस तरह से हटने का निर्णय रणनीति से नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित था।'' पूर्व प्रधानमंत्री ब्लेयर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर ''हमेशा के लिए युद्धों को समाप्त करने को लेकर एक मूखर्तापूर्ण राजनीतिक नारे की आड़ लेने का भी आरोप लगाया।'' उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे लोगों को अफगानिस्तान से निकाल नहीं लिया जाए, जिन्हें निकालना जरूरी है, तब तक ब्रिटेन पर वहां मौजूद रहने की नैतिक बाध्यता है। उन्होंने कहा कि सैनिकों की वापसी पश्चिमी देशों या अफगानिस्तान के हित में नहीं थी।