लंदन: बाइबल के पुराने नियम (ओल्ड टेस्टामेंट) की तिथि पर प्रकाश डालते हुए तेल अवीव विश्वविद्यालय (टीएयू) के शोधकर्ताओं को ऐसे सबूत मिले हैं, जिसके अनुसार बाइबल के आरंभिक नियमों की रचना प्राचीन जुदाह सम्राज्य में कम से कम 600 ईसा पूर्व में हुई थी। शोधकर्ताओं ने इस पर भी चर्चा की कि 586 ईसा पूर्व में जेरुशलम और जुदाह साम्राज्य के पतन से पहले यहूदी बाइबल की कितनी रचना हुई थी। हालांकि शोधकर्ता इस बात पर राजी थे कि बाइबल के मूल ग्रंथों की रचना की शुरुआत ईसा पूर्व सातवीं सदी में हो गई थी। लेकिन इन ग्रंथों की रचना की सही तिथि पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की पत्रिका में छपे नए अध्ययन के अनुसार, इस कार्य के लिए बड़े पैमाने पर साक्षरता की जरूरत थी और साक्ष्यों से पता चलता है कि जुदाह साम्राज्य के अंतिम दिनों में इतनी साक्षरता थी।
टीएयू के भौतिक शास्त्र और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एलिएजर पियासेजकी ने कहा, "जुदाह साम्राज्य के प्रशासनिक, सैनिक और पुरोहिती व्यवस्था के सभी स्तरों पर साक्षरता थी। लिखना-पढ़ना केवल कुछ अभिजात्यों तक सीमित नहीं था।" बाइबल ग्रंथों की रचना की तिथि को लेकर शोधकर्ताओं में गरमागर्म बहस भी हुई। सुदूर स्थित अरद किले में हुई खुदाई में मिले शिला लेखों का विश्लेषण करने में शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर और अन्य सीखने की मशीनों की मदद ली। शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रंथों की रचना कम से कम छह लेखकों ने की थी।
शिला लेखों की सामग्रियों से पता चला कि उस समय सेना में उच्चस्तर से लेकर किले के उप अधिकारी तक को पढ़ने-लिखने आता था। शोधकर्ताओं ने लेखकों को पहचानने के लिए एल्गोरिथ्म का सहारा लिया और उसके बाद तथ्यों के मूल्यांकन के लिए सांख्यिकी मशीन की रचना की। प्रमुख शोधकर्ता इजरायल फिंकेलस्टिन ने कहा, "हमलोग यह आकलन कर सकते हैं कि प्रथम मंदिर काल के अंतिम चरण में काफी लोग लिख-पढ़ सकते थे। हमलोगों का अनुमान है कि एक लाख लोगों के साम्राज्य में सैकड़ों लोग साक्षर थे।"
जुदाह साम्राज्य के पतन के बाद हिब्रू शिलालेखों के निर्माण में ईसा पूर्व दूसरी सदी तक बड़ा अंतराल देखा गया। इसके बाद व्यापक साक्षरता के सबूत मिले हैं। इससे पुष्टि होती है कि जेरुशलम में बाइबल ग्रंथों की रचना 586 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी।