बर्लिन: इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आज तीन दिवसीय यूरोप यात्रा के पहले चरण के तहत जर्मनी के लिये रवाना हुए। इस दौरान ईरान के साथ रणनीतिक मतभेदों का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है क्योंकि अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु करार से अलग होने के बाद से यूरोपीय देशों के नेता इस करार को बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं। बर्लिन , पेरिस और लंदन में नेता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने 2015 के करार से अलग होने के फैसले से अब भी जूझ रहे हैं। नेतन्याहू के प्लान बी पर यूरोपीय सहयोग मांगने की उम्मीद है। यह योजना अभी तैयार नहीं हुई है। इस्राइल से रवाना होने के दौरान नेतन्याहू ने कहा , ‘‘ मैं तीनों (देशों के) नेताओं से मिलूंगा और वहां दो मुद्दों -- ईरान और ईरान को उठाऊंगा। ’’ (डोनाल्ड ट्रंप द्वारा खुद को माफी देना ''अपमानजनक हो सकता है'' )
उन्होंने परमाणु कार्यक्रम को लेकर तेहरान पर दबाव बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा , ‘‘ हो सकता है वहां फिलहाल पूर्ण सहमति नहीं बने , लेकिन मेरी राय में इस तरह की समझ आकार लेगी। ’’ जर्मनी , फ्रांस और ब्रिटेन, विश्व शक्तियों और ईरान के बीच 2015 में हस्ताक्षरित संयुक्त कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) के हस्ताक्षरकर्ता हैं। इसका लक्ष्य तेहरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना था।
नेतन्याहू बर्लिन में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ अपराह्न में बातचीत करेंगे और उसके बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस्राइल करार का सख्त विरोधी रहा था। उस करार के तहत ईरान की परमाणु गतिविधियों को सीमित करने की सूरत में उसे प्रतिबंधों में राहत देने का वादा किया गया था। वह मंगलवार को पेरिस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से और बुधवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे से मिलेंगे।