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आर्थिक संकटः 90 हजार लोगों ने छोड़ा यूनान

एथेंस: बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण पिछले कुछ सालों में देश छोड़ने का यूनानियों में चलन बढ़ गया है। सालभर में करीब 90 हजार लोगों ने बेहतर भविष्य की आस में देश छोड़ा है। यह संख्या

India TV News Desk
Updated on: July 11, 2015 18:06 IST
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आर्थिक संकट के कारण 90 हजार लोगों ने छोड़ा यूनान

एथेंस: बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण पिछले कुछ सालों में देश छोड़ने का यूनानियों में चलन बढ़ गया है। सालभर में करीब 90 हजार लोगों ने बेहतर भविष्य की आस में देश छोड़ा है। यह संख्या ग्रीस की कुल आबादी का एक फीसद है। दूसरी ओर, ग्रीस को दिवालिया होने से बचाने के लिए फ्रांस और इटली आगे आए हैं। दोनों देशों ने उसके सुधार प्रस्तावों की सराहना की है। इससे उसके यूरो जोन में बने रहने की उम्मीदें बढ़ गई है।

सुधार प्रस्ताव पर शनिवार को ब्रसेल्स में यूरो जोन के सदस्य देशों के वित्त मंत्री चर्चा करेंगे। उससे पहले यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख भी नए सुझावों का अध्ययन करेंगे। हालांकि आखिरी फैसला यूरोपीय संघ के सम्मेलन में रविवार को होगा।

जन्म से ज्यादा मौतें

यूरोपीय देशों की आंकड़े जुटाने वाली संस्था यूरोस्टेट के मुताबिक लगातार चौथे साल ग्रीस में जन्म से ज्यादा मृत्यु की दर रही। पिछले साल 92 हजार बच्चे पैदा हुए। पिछले एक दशक में यह सबसे कम है। संस्था के अनुसार 2014 में 91,237 ग्रीस वासी देश छोड़कर चले गए। यूरोस्टेट के अनुसार बढ़ते चलन का मुख्य कारण बढ़ती बेरोजगारी और कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था है।

सिप्रास का प्रस्ताव
ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए गुरुवार को नया प्रस्ताव दिया था। इसमें उन्होंने कर और पेंशन संबंधी सुधार का खाका पेश करते हुए बेलआउट फंड से तीन साल के लिए नया कर्ज मांगा है। ग्रीस ने 5350 करोड़ यूरो (करीब 3,79,353 करोड़ रुपये) का नया कर्ज मांगा है।

विश्वसनीय और गंभीर
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इस प्रस्ताव को विश्वसनीय और गंभीर बताते हुए कहा है कि ग्रीस ने यूरो जोन में बने रहने का संकल्प दिखाया है। इतालवी प्रधानमंत्री मातेओ रेंजी ने भी समझौता होने की उम्मीद जताई है। यूरोपीय देशों में ग्रीस को जर्मनी के बाद सबसे ज्यादा कर्ज देने वाला देश फ्रांस ही है।

बैंकों को चाहिए तुरंत मदद
ग्रीस के बैंकों को कामकाज का संचालन करने के लिए तत्काल मदद की जरूरत है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा आपातकालीन नगदी देने से इंकार करने के बाद बैंकों की हालत और पतली हो गई है। सरकार पहले ही सभी बैंकों को बंद रखने के आदेश दे चुकी है। एटीएम से एक दिन में 60 यूरो (करीब 4254.67) निकालने की ही इजाजत है।

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