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104 साल के इस वैज्ञानिक ने ऐसे काम के लिए अपना देश छोड़ा जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते

पर्थ के एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के मानद रिसर्च असोसियेट गुडॉल एक हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे और परिवार से मिलने के लिए फ्रांस के बोर्दो में रूके थे...

Reported by: Bhasha
Published on: May 10, 2018 19:25 IST
104-year-old scientist David Goodall ends his life in Switzerland | AP- India TV Hindi
104-year-old scientist David Goodall ends his life in Switzerland | AP

जिनीवा: अपना जीवन खत्म करने के लिए स्विट्जरलैंड पहुंचे 104 साल के एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने एक फाउंडेशन की मदद से गुरुवार को आत्महत्या के जरिए दुनिया को अलविदा कहा। उनकी मदद करने वाले फांउडेशन ने यह जानकारी दी। डेविड गुडॉल को अपने देश में आत्महत्या के लिए मदद मांगने से रोक दिया गया था। वह किसी असाध्य रोग से ग्रस्त नहीं थे लेकिन उनका कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ जीने लायक नहीं रहा है और वह मरना चाहते हैं। गुडॉल की ऑस्ट्रेलिया से स्विट्जरलैंड आने में मदद करने वाले संगठन ‘एक्जिट इंटरनेशनल’ के संस्थापक फिलिप नित्शके ने ट्विटर पर लिखा कि वैज्ञानिक ने ‘शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम सांस ली।’

उन्होंने बताया कि लाइफ साइकल क्लीनिक में नेम्बुटल (इस तरह की आत्महत्या के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) के जरिए दिन में साढ़े दस बजे (अंतर्राष्ट्रीय समयानुसार) वैज्ञानिक ने दम तोड़ा। पर्थ के एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी के मानद रिसर्च असोसियेट गुडॉल एक हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे और परिवार से मिलने के लिए फ्रांस के बोर्दो में रूके थे। इसके बाद वह सोमवार को स्विटजरलैंड के बासेल पहुंचे। उन्होंने बुधवार को कहा था,‘मैं अब और जीना नहीं चाहता। मैं खुश हूं कि मेरे पास कल इसे खत्म करने का मौका होगा और इसे संभव करने में मदद के लिए यहां के चिकित्सा पेशे की सराहना करता हूं।’

104 साल के बुजुर्ग ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में लोगों की व्यापक रूचि से ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देश अपने कानून में बदलाव करने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा,‘मुझे खुशी होती कि अगर मैं ऐसा ऑस्ट्रेलिया में कर पता और मुझे काफी अफसोस है कि जिंदगी खत्म करने के अधिकार से जुड़े कानूनों के मामले में ऑस्ट्रेलिया स्विट्जरलैंड से पीछे है।’ गुडॉल ने इस साल की शुरूआत में खुद से आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन वह नाकाम रहे। इसके बाद उन्होंने स्विस संगठन से मदद लेने का फैसला किया। उन्होंने कहा था,‘अगर मैं ऐसा कर पाता तो यह सबके लिए ज्यादा आसान होता लेकिन बदकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ।’ आत्महत्या में मदद करना अधिकतर देशों में गैरकानूनी है।

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