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Year Ender 2023: आत्म निर्भर हुई Indian Army ने बनाया रक्षा उत्पादन में बड़ा रिकॉर्ड, 85 देशों को हथियार बेचने वाला देश बना भारत

वर्ष 2023 भारतीय सेना के लिए उपलब्धियों भरा रहा। पीएम मोदी ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना को अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों, लड़ाकू विमानों, अटैक हेलीकॉप्टरों, परमाणु मिसाइलों व युद्धपोतों और परमाणु पनडुब्बियों से लैस कर दिया है। सीमावर्ती इलाकों में पुलों, सड़कों और सुरंगों का महाजाल बिछा दिया गया है।

Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 28, 2023 18:22 IST, Updated : Dec 31, 2023 0:04 IST
भारतीय मिसाइल, ब्रह्मोस।
Image Source : AP भारतीय मिसाइल, ब्रह्मोस।

Year Ender 2023: भारतीय सेना के लिहाज से वर्ष 2023 काफी उपलब्धियों भरा रहा है। इस दौरान रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर होने के साथ ही भारत ने निर्यात में भी बड़ी रिकॉर्ड बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सेना आइएनएस विक्रांत जैसे दुनिया के घातक युद्धपोत, तेजस और राफेल जैसे विध्वंसक लड़ाकू विमानों और परमाणु पनडुब्बियों से लैस हुई। भारत ने कई परमाणु मिसाइलों का भी परीक्षण किया। भारतीय रक्षा अनुंसधान संगठन और अन्य रक्षा उत्पादन कंपनियों ने 2023 में डिफेंस उपकरणों के उत्पादन में भी बड़ा रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही भारत 85 देशों को हथियार बेचने वाला देश बन गया। 

रक्षा मंत्रालय  के आंकड़ों के अनुसार 2023 भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मजबूत, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है। रिकॉर्ड रक्षा निर्यात, सर्वकालिक उच्च उत्पादन और सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में वस्तुओं की संख्या में वृद्धि भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसके साथ ही दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात होने से लेकर लड़ाकू इकाइयों और नौसेना के युद्धपोतों की कमान संभालने तक, नारी शक्ति ने सैन्य कौशल में एक नई गतिशीलता स्थापित की है।

सीमा पर बढ़ी भारतीय सेना की ताकत

वर्ष 2023 में भारतीय सेना को सीमा पर अधिक मजबूती मिली है।  रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के लिए 2023 एक ऐतिहासिक वर्ष रहा। मजबूत, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और समावेशी भारत बनाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में बड़े कदम उठाए गए। रक्षा और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के प्रयास नए सिरे से आगे बढ़े हैं। देश में रिकॉर्ड रक्षा निर्यात और सर्वकालिक उच्च रक्षा उत्पादन देखा गया है। सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, नारी शक्ति का उपयोग करना और पूर्व सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करना रक्षा मंत्रालय की प्राथमिकता में शामिल रहा। 

स्वदेशीकरण पर जोर

रक्षा में आत्मनिर्भरता के साथ भारतीय सेना ने सकारात्मक स्वदेशीकरण पर भी जोर दिया है। पांचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) में अब ऐसे 98 उपकरण शामिल हैं। इसमें अत्यधिक जटिल सिस्टम, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद को शामिल किया गया है। इन सभी वस्तुओं को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार क्रमबद्ध समयसीमा में स्वदेशी स्रोतों से खरीदा जाएगा। डीएमए ने पहले चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की थीं, जिनमें 411 सैन्य वस्तुएं शामिल थीं। रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) ने 4 सूची अधिसूचित की हैं, जिनमें कुल 4,666 आइटम शामिल हैं। इसमें डीपीएसयू के लिए लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट/सब-सिस्टम/स्पेयर और घटक शामिल हैं। 928 वस्तुओं की चौथी सूची भी जारी की जा चुकी है। 

1 लाख करोड़ के पार पहुंचा रक्षा उत्पादन

 वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) 2022-23 में पहली बार रक्षा उत्पादन का मूल्य एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। वित्त वर्ष 2021-22 में यह 95,000 करोड़ रुपये था। सरकार की नीतियों के कारण, एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित उद्योग, रक्षा डिजाइन, विकास और विनिर्माण में आगे आ रहे हैं और पिछले 7-8 वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा लाइसेंस की संख्या में लगभग 200% की वृद्धि हुई है। सरकार की इन्हीं नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के जबरदस्त योगदान के माध्यम से, रक्षा निर्यात सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2022-23 में 16,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष से लगभग 3,000 करोड़ रुपये अधिक। 2016-17 के बाद से इसमें 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।

85 देशों को इन हथियारों की बिक्री कर रहा भारत

रक्षा के क्षेत्र में देश की आत्म निर्भरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत अब 85 से अधिक राष्ट्रों को निर्यात कर रहा है। भारतीय उद्योग ने दुनिया को अपनी डिजाइन और विकास की क्षमता दिखाई है, वर्तमान में 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं। निर्यात किए जाने वाले प्रमुख प्लेटफार्मों में डोर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वाहन, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर शामिल हैं। एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर, एमआरओ गतिविधियों आदि की वैश्विक मांग बढ़ रही है।

घरेलू उद्योगों को मिला बढ़ावा

वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा पूंजी खरीद बजट का रिकॉर्ड 75 प्रतिशत (लगभग एक लाख करोड़ रुपये) घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया गया था, जो 2022-23 में 68 प्रतिशत से अधिक है। बेंगलुरु में 14वें एयरो इंडिया के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की थी। वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा मंत्रालय को कुल 5.94 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, जो कुल बजट (45.03 लाख करोड़ रुपये) का 13.18 फीसदी अधिक है। आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित पूंजी परिव्यय को बढ़ाकर 1.63 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।

कर्नाटक में बनी भारत की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर निर्माण कंपनी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के तुमकुरु में  हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) हेलीकॉप्टर फैक्ट्री को राष्ट्र को समर्पित किया। यह फैक्ट्री भारत की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर विनिर्माण सुविधा है और शुरुआत में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का उत्पादन करेगी। एलयूएच एक स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित तीन-टन वर्ग, उच्च गतिशीलता की अनूठी विशेषताओं वाला एकल इंजन बहुउद्देश्यीय उपयोगिता हेलीकॉप्टर है। प्रारंभ में, कारखाना प्रति वर्ष लगभग 30 हेलीकॉप्टरों का उत्पादन करेगा और इसे चरणबद्ध तरीके से प्रति वर्ष 60 और फिर 90 तक बढ़ाया जा सकता है।

पीएम ने स्वदेशी तेजस में उड़ान भरकर दिया आत्म निर्भरता का संदेश

नवंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में एचएएल द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित 'तेजस' ट्विन-सीटर लाइट कॉम्बैट फाइटर विमान में उड़ान भरके पूरी दुनिया को आत्म निर्भर और सशक्त भारत का संदेश दिया। यह उड़ान विमान प्रणाली परीक्षण प्रतिष्ठान, बेंगलुरु से भरी गई थी। 30 मिनट की उड़ान के दौरान प्रधानमंत्री के सामने तेजस की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय प्रधान मंत्री ने लड़ाकू विमान उड़ाया हो। प्रधानमंत्री ने एलसीए तेजस की उत्पादन सुविधाओं का भी दौरा किया और उन्हें 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एचएएल में किए जा रहे प्रौद्योगिकी गहन कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। एचएएल ने बेंगलुरु में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट की उपस्थिति में पहला ट्विन-सीटर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट 'तेजस' भारतीय वायुसेना को सौंपा गया। यह हल्का वजन, हर मौसम में काम आने वाले बहुउद्देशीय 4.5 पीढ़ी का विमान है। भारतीय वायुसेना ने एचएएल को इस तरह के 83 LCA का ऑर्डर दिया है।

भारत की नई ताकत बना C-295 परिवहन विमान

उच्च क्षमता वाला C-295 MW परिवहन विमान भारतीय वायुसेना की नई ताकत बना। इसको  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया। विमान को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एस.ए., स्पेन के बीच सहयोग के माध्यम से शामिल किया गया। ऐसे 15 और विमान अगस्त 2025 तक प्राप्त होंगे। शेष 40 का निर्माण सी-295 परिवहन विमान निर्माण सुविधा में किया जाएगा, जिसकी आधारशिला अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने वडोदरा, गुजरात में रखी है। अब पहला मेड इन इंडिया विमान सितंबर 2026 से आने की उम्मीद है। यह मध्यम लिफ्ट सामरिक विमान होगा जो बिना तैयार लैंडिंग ग्राउंड से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है। यह एचएस-748 एवरो विमान की जगह लेगा।

रक्षा अधिग्रहण रक्षा अधिग्रहण परिषद ने बढ़ाई सशस्त्र बलों की ताकत

2023 में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अपनी बैठकों में सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ा दिया है। इसके लिए कुल 3.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें से 2.20 लाख करोड़ रुपये का अधिग्रहण घरेलू उद्योगों से प्राप्त की जाएगी। इसके साथ ही एचएएल से हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान एमके 1ए की खरीद को मंजूरी मिल गई। एचएएल से स्वदेशी रूप से Su-30 MKI विमान के उन्नयन के लिए DAC द्वारा AoN भी प्रदान किए गए थे।

नौसेना की बढ़ाई ताकत

भारतीय नौसेना के सतह प्लेटफॉर्म के लिए मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों को भी मंजूरी दी गई। भारतीय फील्ड गन के स्थान पर टोड गन सिस्टम के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी गई।  फ्रांसीसी सरकार से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित सहायक उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर, स्पेयर, दस्तावेज़ीकरण, चालक दल प्रशिक्षण और रसद समर्थन के साथ 26 राफेल समुद्री विमानों की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया। संयुक्त राज्य अमेरिका से त्रि-सेवाओं के लिए 31 MQ-9B (16 स्काई गार्जियन और 15 सी गार्जियन) हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी।

इसके साथ ही 56,000 करोड़ रुपये मूल्य की ब्रह्मोस मिसाइलें, शक्ति ईडब्ल्यू सिस्टम और यूटिलिटी हेलीकॉप्टर-मैरीटाइम को भारतीय नौसेना के लिए मंजूरी दे दी गई। भारतीय वायु सेना के लिए लंबी दूरी के स्टैंड-ऑफ हथियार को मंजूरी मिल गई है जिसे SU-30 MKI विमान में एकीकृत किया जाएगा। भारतीय सेना के लिए हाई मोबिलिटी और गन टोइंग वाहनों के साथ 155 मिमी/52 कैलिबर एटीएजीएस की खरीद को भी मंजूरी दी गई। एचएएल से भारतीय तटरक्षक बल के लिए एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर एमके-III के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी गई।

सीमा वर्ती क्षेत्रों में सड़कों का बिछाया जाल 

इस वर्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 118 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं। उन्होंने 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैली 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू कीं। इनमें अरुणाचल प्रदेश में नेचिफू सुरंग शामिल है। साथ ही दो हवाई क्षेत्र, दो हेलीपैड, 22 सड़कें और 63 पुल हैं। इन 90 परियोजनाओं में से 36 अरुणाचल प्रदेश में हैं। जबकि 26 लद्दाख में और जम्मू-कश्मीर में 11 व मिजोरम में पांच और हिमाचल प्रदेश में तीन; सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में दो-दो और नागालैंड, राजस्थान और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक-एक। एक कार्यक्रम के दौरान 724 करोड़ रुपये की 28 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गईं। परियोजनाओं में 22 पुल शामिल हैं। ये सभी सीमावर्ती इलाकों में हैं। 

सेना की पहुंच मजबूत करने को बनाई सुरंगे

सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय सेना की पहुंच को मजबूत करने के लिए वर्तमान में बीआरओ 20 सुरंगों पर काम कर रहा है, जिनमें से 10 निर्माणाधीन हैं और 10 योजना चरण में हैं। बी-सी-टी रोड (अरुणाचल प्रदेश) पर 500 मीटर लंबी नेचिफू सुरंग सितंबर में रक्षा मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई थी। इसके अलावा, 4.1 किलोमीटर लंबी शिंकू ला सुरंग का निर्माण जल्द ही शुरू होने की संभावना है, जो पूरा होने के बाद 15,855 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। इसी तरह सेला सुरंग अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारदुआर-तवांग रोड पर यह परियोजना ट्विन ट्यूब कॉन्फ़िगरेशन की दो सुरंगों को शामिल करती है। इससे तवांग के लिए सभी मौसम में कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। इसके पूरी होने के बाद यह 13,800 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाय-लेन हाईवे सुरंग होगी। वहीं जम्मू-कश्मीर की  कंडी सुरंग प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बावजूद अखनूर से पुंछ रोड पर NH-144A पर 260 मीटर बन रही है। यह जम्मू से पुंछ तक कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पुलों से आवागमन हुआ आसान

सेना को क्विक रेस्पांस देने में सक्षम बनाने के लिए सीमावर्ती इलाकों में इस वर्ष में 3,179 मीटर पुल पूरे हो चुके हैं। 22 पुलों को पुनर्जीवित किया गया है। 60 मॉड्यूलर डबल लेन सीएल 70 ब्रिज की आपूर्ति और लॉन्चिंग के लिए जीआरएसई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। अब तक ऐसे 20 पुल पूरे हो चुके हैं। श्योक नदी (लद्दाख) पर स्थायी पुल: लगभग 15,300 फीट की ऊंचाई पर सासेर ब्रांग्सा में स्थित इस 345.70 मीटर लंबे पुल बनाया गया। भूटान में चुज़ोम-हा पर दो डबल लेन स्टील मॉड्यूलर ब्रिज - त्शाफेल और काना - का उद्घाटन अक्टूबर में बुनियादी ढांचे और परिवहन मंत्री ल्योनपो दोरजी त्शेरिंग द्वारा किया गया था। इन पुलों का निर्माण महज तीन महीने के भीतर किया गया। इसके अलावा, दरंगा से ट्रैशिगोंग तक सड़क पर 24 मीटर लंबे आरसीसी डबल लेन स्थायी पुल का भी ट्रैशिगांग के मेयर द्वारा उद्घाटन किया गया।

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