Highlights
- माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवार नेता बने जिनपिंग
- रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं थमने से चीन अमेरिका और रूस से हो जाएगा ज्यादा ताकतवर
- पाकिस्तान के जरिये भारत में आतंक को बढ़ावा देकर आर्थिक स्थिति करेगा कमजोर
Xi Jinping Vs India & US: चीन का लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने और उसके बाद आजीवन इस पद पर बने रहने के लिए शी जिनपिंग का इंतजार अब लगभग खत्म हो चुका है। उन्हें लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति चुना जा चुका है। जबकि चीन में अभी तक लगातार दो बार से ज्यादा किसी को राष्ट्रपति बनाने का प्रावधान नहीं था। अब तक चीन के सबसे ताकतवर नेता रहे माओत्से तुंग सिर्फ इसके अपवाद थे। वह लगातार 27 वर्षों तक सत्ता में रहे। जिनपिंग अब उनसे भी आगे निकलने की मंशा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस घटनाक्रम के बाद अब शी जिनपिंग की ताकत की थाह लगाना पूरी दुनिया के लिए मुश्किल होगा। जिनपिंग ने दिखा दिया है कि चीन का अब आजीवन वही भविष्य हैं। जब तक वह जीवित रहते हैं, तब तक वह अपने किसी विरोधी को खड़ा नहीं होने देंगे। अगर कोई इसकी जुर्रत करेगा तो उसका ऐसा पतन होगा कि वह सोच भी नहीं सकता। जिनपिंग की अब पूरी तानाशाही चलेगी।
चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओं को भरी सभा में बाहर निकाले जाने और अपने अन्य विरोधियों व पुराने लोगों को सत्ता से दूर रखने का जिनपिंग का इरादा बहुत कुछ कह रहा है। अब जिनपिंग दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह बनने की ओर अग्रसर हो चले हैं। जिनपिंग की यह ताकत भारत समेत अमेरिका के लिए भी बड़ा खतरा बनने वाली है। जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अब चीन में उनका विरोध करने की ताकत किसी में नहीं होगी। चीन में बचाखुचा लोकतंत्र भी अब पूरी तरह खत्म हो जाएगा। चीन में अगर कुछ बचेगा तो वह होगी सिर्फ जिनपिंग की तानाशाही। इस तानाशाही का चीन और दुनिया पर आने वाले समय में क्या असर होगा। इस बारे में बता रहे हैं सेना के पूर्व ले. जनरल संजय कुलकर्णी ....
चीन अब अमेरिका को देगा मजबूत टक्कर
जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से अब चीन में नेतृत्व की स्थिरता आ गई है। इससे ताइवान मसले पर बातचीत और अमेरिका के साथ तनाव दूर होने की सारी संभावनाएं अब पूरी तरह से खत्म हो गई हैं। अब जिनपिंग और अधिक ताकत से अमेरिका को टक्कर देंगे। यूक्रेन की युद्ध में मदद करके और यूरोपीय देशों की महंगाई में मदद करके अमेरिका जितना कमजोर पड़ेगा, वह चीन के लिए उतना ही अधिक फायदेमंद होगा। इससे जो बाइडन की ताकत धीरे-धीरे कम होगी। इधर शी जिनपिंग अब ताइवान का विलय कराने पर पूरा फोकस करेंगे। प्वाइंट में समझें कि कैसे बढ़ेगी जिनपिंग की ताकत...
- लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अब वह लाइफ टाइम प्रेसीडेंट बनने में सफल होंगे।
- माओत्से तुंग से भी ज्यादा मजबूत नेता हो जाएंगे।
- अपने पार्टी के विरोधी व पुराने नेताओं को किनारे लगाकर अनबन का हर रास्ता बंद किया।
- अमेरिका के साथ अब चीन की टक्कर मजबूत हुई।
- चीन सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का मुख्यालय बना रहेगा।
- अपनी पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को मजबूत करेगा।
- चीन में अब जिनपिंग के खिलाफ स्वर उठाना किसी के लिए भी मुश्किल होगा।
- चीन में अब अंतरविरोधियों के लिए कोई जगह नहीं होगी।
- अंतरविरोध के दफन होने से जिनपिंग की मनमर्जी खूब चलेगी।
- यूक्रेन से युद्ध लड़के रूस कमजोर हुआ और यूक्रेन की मदद करके अमेरिका भी कमजोर हो रहा।
- दोनों ही परिस्थिति में अब चीन की ताकत बढ़ेगी।
- हांगकांग और शिनजियांग पर चीन लगभग नियंत्रण पा चुका है।
- अब ताइवान को भी किसी न किसी तरह विलय कराने में सफल हो सकता है।
- 2049 तक विश्व का सबसे अमीर देश बनने का लक्ष्य है।
- बेल्ट रोड एंड इनीशिएटिव को चीन गति देगा। इससे अमेरिका और भारत की चिंता बढ़ेगी।
- साउथ ईस्ट चाइना सी और साउथ ईस्ट एशिया में अपना दबदबा बढ़ाएगा।
- भारत को लगातार वह घेरकर रखेगा।
- पाकिस्तान के जरिये भारत में आतंक फैलाकर उसे अस्थिर करेगा।
- चीन चाहेगा कि भारत उसके सामने घुटने टेके, जिससे वह सुपर पॉवर बन सके।
- भारत चीन के सामने कभी झुकेगा नहीं, लेकिन अब भारत की चुनौती कई गुना बढ़ जाएगी।
दुनिया का सुप्रीम लीडर बनना चाहता है चीन
ले. जनरल कुलकर्णी के अनुसार अब चीन रूस और अमेरिका से अब आगे निकलना चाहता है। अभी अमेरिका ही दुनिया का सुप्रीम लीडर है, लेकिन चीन अब अमेरिका की जगह लेना चाहता है। जिनपिंग की तीसरी ताजपोशी से अब चीन उस राह पर बढ़ चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया में महंगाई की मार है। यूक्रेन से लड़ते रूस की हालत खस्ता हो चुकी है। वहीं अमेरिका की हालत भी यूक्रेन की मदद करते कुछ न कुछ कमजोर पड़ी है। हालांकि अमेरिका ने अभी अपने एक वर्ष के रक्षा बजट का पांच फीसद भी यूक्रेन को नहीं दिया है। उसका रक्षा बजट दुनिया का सबसे विशाल बजट है। मगर अमेरिका को अब यूरोपीय देशों की भी आर्थिक मदद करनी होगी। ऐसे में अब यूक्रेन के साथ युद्ध रोकना रूस और अमेरिका दोनों के लिए ही फायदेमंद होगा। मगर अमेरिका अभी इसलिए युद्ध को रोकवाना नहीं चाहता कि वह रूस को बर्बाद होते देखना चाहता है। इधर चीन अपनी अलग घात लगाए बैठा है। अब पश्चिमी देश जो चीन से सामान नहीं ले रहे हैं, उसी का सस्ता उत्पाद खरीदने को मजबूर होंगे। ऐसे में चीन की आर्थिक स्थिति जो कि अभी कमजोर पड़ी है, वह फिर तेजी से उभरेगी और तब चीन को दुनिया का सुप्रीम लीडर बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। क्योंकि सिर्फ आर्थिक स्थिति ही चीन की कमजोर है, बाकी वह हर क्षेत्र में मजबूत है।
भारत के लिए खतरा बनेगा चीन
ले. जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि लगातार तीसरी बार शी जिनपिंग के हाथों में चीन की कमान आने से वह अब पाकिस्तान के जरिये हिंदुस्तान में आतंक फैलाएंगे। बार
बार-बार ताइवान और हिंदुस्तान के खिलाफ बोलेंगे। बार-बार भारत के खिलाफ पाकिस्तान का चीन इस्तेमाल करेगा। पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ाएगा। वह पूरी तरह भारत के ऊपर दबाव की पूरी कोशिश करेगा। क्योंकि उसे पता है कि भारत को दबा लिया तो ही उसकी सुप्रीमेसी दुनिया की ओर आगे बढ़ पाएगी। भारत ही चीन के राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। क्योंकि चीन के बाद एशिया का दूसरा ताकतवर देश भारत ही है जो कि उसका सबसे बड़ा दुश्मन है। इसलिए वह भारत की चिंता बढ़ाएगा। चीन भारत में पाकिस्तान के जरिये आतंक फैलाकर उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर करने की कोशिश करेगा। क्योंकि भारत आर्थिक विकास दर में चीन से आगे निकल चुका है। अगर उसी राह पर भारत चलता रहा तो चीन का सुपर पॉवर बनने का सपना साकार नहीं होगा।
पूरी दुनिया के लिए घातक होगा चीन
चीन के इस वक्त दो सबसे बड़े दुश्मन हैं। एक भारत और दूसरा अमेरिका। जिनपिंग की ताकत बढ़ने से और दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए अब लग रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में फिर से चीन की इकोनॉमी बूम करेगी। ऐसे में वह सुपर पॉवर बनने की अपनी मंशा को कामयाब कर सकता है। अब चीन को जिनपिंग अमेरिका से भी आगे ले जाने का अपने देशवासियों को सपना दिखाएंगे। वह चीनियों को यह एहसास कराएंगे कि अब जो हो दुनिया में आप (चीन) ही हो। आपके आगे कोई और नहीं है। क्योंकि यहां दुनिया का नंबर वन इंफ्रास्ट्रक्चर तो है ही वह अब और बढ़ेगा। आर्मी की ताकत भी जिनपिंग बढ़ाएंगे। वैश्विक व्यापार बढ़ने से चीन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। अब चीन साउथ ईस्ट एशिया के सभी देशों पर अपनी दादागीरी दिखाने की कोशिश करेगा। ताइवान को तो वह जब चाहेगा तब बलपूर्वक चीन में मिला लेगा। क्योंकि जिनपिंग आसानी से ताइवान के नहीं मानने पर बल प्रयोग की बात कह भी चुके हैं। चीन चाहेगा कि पूरी दुनिया पर उसका दबदबा हो और उसके आगे हर कोई घुटना टेके। इसलिए चीन की यह मंशा पूरी दुनिया के लिए अब घातक बनने वाली है।