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नेपाल में 5 साल में एक बार लगता है गढ़ीमाई मेला, लाखों जानवरों की दी जाती है बलि; जानें क्या है ये खूनी परंपरा

गढ़ीमाई मेला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक सामूहिक बलि प्रथा के रूप में नाम दर्ज करवा चुका है। मेला लगभग 15 दिन चलता है और इसमें नेपाल और भारत के श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। प्रत्येक दिन लगभग पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 16, 2024 12:20 IST, Updated : Dec 16, 2024 13:42 IST
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Image Source : FILE PHOTO विश्व प्रसिद्ध गढ़ीमाई मंदिर

पड़ोसी देश नेपाल के बारा जिला में गढ़ीमाई देवी स्थान पर हर पांच साल में एक बार मेला लगता है। इसमें ढाई लाख से 5 लाख जानवरों की बलि दे दी जाती है। इस बार जानवरों को बचाने के लिए सशस्त्र सीमा बल और स्थानीय प्रशासन ने दिन रात एक कर दिया था। जानकारी के मुताबिक 15 दिनों तक लगने वाले मेले में इस बार दो ही दिन में 8 और 9 दिसंबर को 4200 भैंसों की बलि दे दी गई। वहीं, प्रशासन की सतर्कता की वजह से कम से कम 750 जानवरों को बचाया गया है जिनमें भैंसें, भेड़-बकरियां और अन्य जानवर शामिल हैं। इन जानवरों को गुजरात के जामनगर में रिलायंस ग्रुप के वाइल्डलाइफ रिहैबिलिटेशन सेंटर में भेज दिया गया है। 

बारा जिले में गढ़ीमाई महानगरपालिका स्थित विश्व प्रसिद्ध गढ़ीमाई मंदिर में पांच साल पर लगने वाले मेला का विगत 2 दिसंबर को नेपाल के उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव ने उद्घाटन किया था। यह मेला 15 दिसंबर तक चला। आठ दिसंबर को विशेष पूजा हुई और उसके बाद जिन लोगों की मन्नतें पूरी हो गई उन्होंने अपनी मन्नत के अनुसार पशु पक्षी की बलि चढ़ाई।

क्या है खूनी परंपरा से जुड़ी मान्यता?

इस खूनी परंपरा से जुड़ी मान्यता है कि गढ़ीमाई मंदिर के संस्थापक भगवान चौधरी को सपना आया था कि जेल से छुड़ाने के लिए माता बलि मांग रही हैं। इसके बाद पुजारी ने जानवर की बलि दे दी। इसके बाद से ही यहां लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं और जानवरों की बलि देते हैं। बताया जाता है कि 265 सालों से गढ़ीमाई का यह उत्सव होता है। नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में जानवरों की बलि रोकने का आदेश दिया था। जानकारों का कहना है कि लोग मन्नत पूरी होने पर गढ़ीमाई के मंदिर बलि देते हैं। विश्व में सबसे ज्यादा बलि इसी मंदिर में होती है। बलि के लिए ज्यादातर जानवर खरीदे जाते हैं।  

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम

गढ़ीमाई मेला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक सामूहिक बलि प्रथा के रूप में नाम दर्ज करवा चुका है। यहां सबसे पहले वाराणसी के डोम राज के यहां से आने वाले 5100 पशुओं की बलि दी जाती है। मेला लगभग 15 दिन चलता है और इसमें नेपाल और भारत के श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। प्रत्येक दिन लगभग पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।

भारत में हो रहा विरोध

इस मेले में नेपाल के अलावा,भूटान,बंग्लादेश और भारत समेत कई देश के करोड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बलि प्रथा के खिलाफ दुनिया के कई देशों में आवाजें उठती रही है। भारत में भी इस बलि प्रथा के खिलाफ आवाज उठने लगी है। भारत में इसको लेकर पशु तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। यह मामला नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। साल 2019 में कोर्ट ने पशु बलि पर तुरंत रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन आदेश में यह कहा कि गढ़ीमाई मेले के दौरान पशु बलि को धीरे-धीरे करके कम किया जाए। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है, इसलिए इससे जुड़े लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जा सकता है।

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