Highlights
- 100 दिन बाद राष्ट्रपति सचिवालय में शुरू होगा काम
- प्रदर्शनकारियों ने आधिकारिक आवास में मचाई लूट
- श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों पर कड़े एक्शन के आदेश
Sri Lanka President's Secretariat: श्रीलंका का राष्ट्रपति सचिवालय, जिस पर जुलाई की शुरुआत में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था, सोमवार से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कामकाज पर लौटने को तैयार है। ‘संडे टाइम्स’ अखबार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति सचिवालय को तैयार करने के लिए सप्ताहांत में सफाई और मरम्मत का काम किया गया और सुरक्षा बलों ने सचिवालय के सामने गाले रोड को यातायात के लिए खोल दिया है। इस जगह को प्रदर्शनकारियों ने 100 दिनों से अधिक समय तक अवरुद्ध किया था। नौ जुलाई को यहां प्रदर्शनकारियों की अत्यधिक हिंसा देखी गई थी।
प्रदर्शन के कारण गोटबाया राजपक्षे को देश से भागना पड़ा और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने सचिवालय के सामने गाले रोड को यातायात के लिए खोल दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति सचिवालय से करीब 100 मीटर दूर रहे और दिन में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया। उनमें से कुछ को क्रिकेट खेलते हुए भी देखा गया। राष्ट्रपति सचिवालय में लंबे समय तक काम बाधित रहा, आंदोलन के दौरान उसे भारी क्षति हुई है और उसे पुख्ता मरम्मत की जरूरत है। पुलिस के मीडिया प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलडुवा ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय एक व्यापक प्रणाली का हिस्सा है, जिसके माध्यम से राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और परिसर को जल्द ही खोलने की जरूरत है।
पुरानी और प्राचीन वस्तुएं गायब
पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन और यहां टेंपल ट्री स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास से पुरानी और प्राचीन वस्तुओं सहित कई मूल्यवान वस्तुएं गायब हैं। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग सहित अन्य विभागों के सहयोग से जांच की जा रही है ताकि गायब हुई प्राचीन वस्तुओं की सही संख्या का पता लगाया जा सके, हालांकि पुलिस का अनुमान है कि यह 1,000 से अधिक हो सकती हैं। खबर के अनुसार जांच शुरू करने के लिए विशेष जांच दल गठित किए गए हैं। जांच अधिकारियों के लिए परेशानी की बात यह है कि श्रीलंका के पुरातत्व विभाग के पास राष्ट्रपति भवन में प्राचीन वस्तुओं और विभिन्न कलाकृतियों का विस्तृत रिकॉर्ड नहीं है।
पुरातत्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को समाचार पत्र ‘लंकादीपा’ को बताया कि गायब हुई प्राचीन वस्तुओं की सही संख्या के बारे में विशिष्ट और स्पष्ट जानकारी प्राप्त करना मुश्किल होगा। उन्होंने बताया कि हालांकि पुलिस का अनुमान है कि गायब हुई वस्तुओं की संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वह राष्ट्रपति भवन या प्रधानमंत्री के निजी आवास जैसे किसी अन्य सरकारी भवन पर प्रदर्शनकारियों को कब्जा नहीं करने देंगे।
सभी आवश्यक कार्रवाई का आदेश
विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने श्रीलंका के सशस्त्र बलों और पुलिस को लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर धावा बोलने और संसद को बाधित करने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया है। बता दें अपनी बेहद खराब आर्थिक स्थित से उबरने के लिए बहुत हद तक विदेशी सहायता पर निर्भर श्रीलंका की नई सरकार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमले के बाद शनिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और विपक्ष की ओर से नए दबाव का सामना भी करना पड़ा है। देश-दुनिया की संस्थाओं ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से अनुरोध किया है कि वह सुरक्षा बलों को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल नहीं इस्तेमाल करने का तुरंत आदेश दें।
श्रीलंका के सुरक्षा बलों ने संकटग्रस्त द्वीपीय राष्ट्र के नए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के आदेश पर शुक्रवार को तड़के छापेमारी कर कोलंबो में राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को जबरन खदेड़ दिया। 13 जुलाई को देश छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके प्रमुख सहयोगी विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी महीनों से राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे और विक्रमसिंघे को अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के लिए दोषी ठहराया है, जिसने देश के 2.2 करोड़ लोगों को संकट में डाल दिया।
प्रधानमंत्री ने संसद बुलाने का आग्रह किया
विपक्ष ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धना से सुरक्षा बलों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमले और देश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए सोमवार को संसद बुलाने का आग्रह किया है। शुक्रवार को कार्रवाई के दौरान सुरक्षा बलों ने दो पत्रकारों और दो वकीलों पर भी हमला किया था। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों और वकीलों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। श्रीलंका में विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा पहले ही प्रदर्शनकारियों पर हमले पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट किया था, ‘इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि अत्यधिक बल प्रयोग किया गया और यह अनावश्यक था। इस अमानवीय कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता, कानून का पालन सभी को करना चाहिए।’
शनिवार को उन्होंने एक बार फिर ट्वीट कर कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि शुक्रवार की हिंसा की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने यह भी बताया कि विक्रमसिंघे सरकार को यूरोपीय संघ की चेतावनी पूरे श्रीलंका में खतरे की घंटी है, क्योंकि जीएसपी देश के निर्यात के लिए सबसे अमूल्य है।