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पहले तोड़ा, अब चीन से निवेश पाने के लिए बुद्ध की प्रतिमाओं का संरक्षण कर रहा तालिबान

अफगानिस्तान के तालिबान शासक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच नकदी के संकट से जूझ रहे अपने देश में राजस्व उगाही के एक स्रोत के तौर पर इस खनिज संपदा के दोहन के लिए चीन से आस लगा रहे हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 29, 2022 18:38 IST
Taliban
Image Source : PTI Members of Taliban

मेस एयनाक (अफगानिस्तान): अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 40 किमी दक्षिण पूर्व में यहां खड़ी चट्टानों को काट कर बनाई गई महात्मा बुद्ध की शांत मुद्रा वाली प्राचीन प्रतिमाएं हैं। हालांकि, माना जाता है कि इस स्थान के सैकड़ों मीटर नीचे तांबे के अयस्क का विश्व का सबसे बड़ा भंडार है। अफगानिस्तान के तालिबान शासक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच नकदी के संकट से जूझ रहे अपने देश में राजस्व उगाही के एक स्रोत के तौर पर इस खनिज संपदा के दोहन के लिए चीन से आस लगा रहे हैं। इस स्थान की पहरेदारी कर रहे तालिबान लड़ाकों ने कभी बुद्ध की प्रतिमाओं को नष्ट करने के बारे में सोचा होगा।

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता है और तालिबान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, तब से तमाम देशों ने उस पर पाबंदियां लगा दी हैं ऐसे में तालिबानी शासक वित्त की आपूर्ति के लिए चीन पर उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन मुसीबत की बात है कि पहले सत्ता में रहने के दौरान इन्हीं कट्टर तालिबानियों ने बामियन बुद्ध की प्रतिमा को नष्ट कर दिया था।

दो दशक पहले तालिबान जब पहली बार सत्ता में आया था तब देश के अन्य हिस्से में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा को विस्फोट से नष्ट करने को लेकर उसे रोष का सामना करना पड़ा था। इस स्थान पर तालिबान के सुरक्षा प्रमुख हकमुल्ला मुबारजि ने कहा कि हालांकि, अब तालिबान मेस एयनाक में बुद्ध प्रतिमा को संरक्षित रखने का इच्छुक नजर आ रहा है। ऐसा कर वह अरबों डॉलर का चीनी निवेश प्राप्त कर सकता है। यहां पहली सदी में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एक मठ के भग्नावशेष हैं। मुबारिज ने कहा, ‘‘उनका संरक्षण करना हमारे और चीनियों के लिए बहुत जरूरी है।’’

अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अब, ईरान, रूस और तुर्की सहित कई देश अफगानिस्तान की खनिज संपदा के उत्खनन में निवेश करना चाह रहे हैं। वर्ष 2008 में हामिद करजई प्रशासन ने मेस एयनाक से उच्च श्रेणी के तांबे के खनन के लिए चीनी संयुक्त उद्यम एमसीसी के साथ 30 वर्षों के लिए एक अनुबंध किया था। अध्ययनों से पता चलता है कि इस स्थल पर 1.2 करोड़ टन खनिज भंडार है।

अब, अफगानिस्तान के खनन एवं पेट्रोलियम मंत्रालय के विदेश संबंध मामलों के निदेशक जायद रशीदी ने एमसीसी, चाइना मेटालर्जिकल ग्रुप कॉरपोरेशन और जियांगशी कॉपर लिमिटेड द्वारा निर्मित कंर्सोटियम से संपर्क किया है। कंपनी और सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्री शाहबुद्दीन दिलावर ने पिछले छह महीनों में एमसीसी के साथ दो डिजिटल बैठकें की हैं। उन्होंने उनसे खनन के लिए लौटने का आग्रह किया है। एमसीसी की एक तकनीकी समिति शेष अवरोधों को दूर करने के लिए आने वाले हफ्तों में काबुल पहुंचने वाली है।

(इनपुट- एजेंसी)

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