इस्लामाबाद: पाकिस्तान में पिछले कुछ महीनों से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लगातार हमलों के बीच विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बड़ा बयान दिया है। बिलावल ने कहा है कि सरकार उन आतंकवादी संगठनों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी जो देश के कानूनों और संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के साथ एक इंटरव्यू में बिलावल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर TTP के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाने का भी इल्जाम लगाया।
पाकिस्तान की आर्मी भी TTP के निशाने पर
बिलावल भुट्टो ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि अगर हम अफगान अंतरिम सरकार के साथ काम कर सकते हैं, जिसका इन संगठनों पर प्रभाव है, तो हम अपनी सुरक्षा कायम रखने में सफल होंगे।’ उन्होंने कहा कि देश का नया नेतृत्व, राजनीतिक और सैन्य दोनों, उन आतंकवादी संगठनों से कोई बातचीत नहीं करेगा जो देश के कानूनों और संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। पिछले कुछ महीनों में TTP के निशाने पर पाकिस्तानी सेना भी रही है और आतंकियों के हमले में उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
‘अफगानिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है’
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान को उम्मीद है कि नई अफगान सरकार TTP के खिलाफ कार्रवाई करेगी, बिलावल ने कहा, ‘हम दोनों आतंकवाद के शिकार हैं। मैं नहीं मानता कि आतंकवाद के खिलाफ अफगानिस्तान की सरकार अपने दम पर सफल होगी और न ही हम अपने दम पर आतंकवाद के खिलाफ सफल होंगे। हमें मिलकर काम करना होगा। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का पूरा उद्देश्य पाकिस्तान को एक लोकतांत्रिक देश बनाना है। हमारा मानना है कि चरमपंथ और आतंकवाद से निपटने का एकमात्र तरीका लोकतंत्र है।’
क्या होगा बिलावल के बयान का असर?
बिलावल भुट्टो का यह बयान TTP को और भी ज्यादा आक्रामक हमले करने के लिए प्रेरित कर सकता है। दरअसल, TTP चाहता है कि पाकिस्तान में शरिया कानून लागू हो और वह इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। कहा जाता है कि अफगान तालिबान ने भी TTP के प्रति नरम रुख अपनाया हुआ है। पाकिस्तान की सरकार और TTP के बीच जल्द कोई समझौत नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में देश में आतंकवादी हमलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।
इमरान पर बिलावल के आरोपों में कितना दम?
बिलावल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर TTP के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाया है। दरअसल, इमरान खान पहले भी पाकिस्तानी तालिबान के साथ अपने कथित रिश्तों को लेकर विवाद में रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें तालिबान खान भी कहा जाता रहा है। अफगानिस्तान की सत्ता में जब अफगान तालिबान की वापसी हुई तो इमरान खान ने दिल खोलकर इसका स्वागत किया था। माना जाता है कि इमरान खान के इस रवैये से पाकिस्तान तालिबान का भी उत्साह बढ़ा था।