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इमरान को मिलेगी राहत या गिरेगी गाज? सुप्रीम कोर्ट ने तलब किए नेशनल असेंबली की कार्यवाही के रिकॉर्ड

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि अदालत सरकार एवं विदेश नीति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 05, 2022 21:29 IST
Imran Khan, Pakistan Supreme Court, us ouster of pti government in Pakistan- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK.COM/IMRANKHANOFFICIAL Pakistan PM Imran Khan.

Highlights

  • पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया।
  • अदालत ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद सरकार को नेशनल असेंबली की कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया।
  • चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह देखना चाहती है कि क्या बेंच द्वारा उपाध्यक्ष के फैसले की समीक्षा की जा सकती है।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया और इस मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ही घंटों में इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लिया और 5 सदस्यीय बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू कर दी। बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें जस्टिस इजाजुल अहसन, जस्टिस मोहम्मद अली मजहर, जस्टिस मुनीब अख्तर और जस्टिस जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद सरकार को नेशनल असेंबली की कार्यवाही का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया।

'हमारा ध्यान सिर्फ उपाध्यक्ष के फैसले पर'
चीफ जस्टिस बंदियाल ने कहा कि अदालत सरकार एवं विदेश नीति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती और वह केवल अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और बाद में नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए उपाध्यक्ष द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का पता लगाना चाहती है। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने चीफ जस्टिस बंदियाल को उद्धृत करते हुए कहा, ‘हमारा एकमात्र ध्यान उपाध्यक्ष के फैसले पर है। उस विशेष मुद्दे पर फैसला करना हमारी प्राथमिकता है।’

'हम नीतिगत मामलों में शामिल नहीं होना चाहते'
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अदालत ने राज्य या विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं किया। हम नीतिगत मामलों में शामिल नहीं होना चाहते।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह देखना चाहती है कि क्या बेंच द्वारा उपाध्यक्ष के फैसले की समीक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अदालत केवल स्पीकर की कार्रवाई की वैधता पर फैसला करेगी। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम सभी दलों से इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने को कहेंगे।’

'इसे सिर्फ सिविलियन मार्शल लॉ कहा जा सकता है'
आज सुनवाई शुरू होने पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद रजा रब्बानी ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। पीपीपी उन 3 प्रमुख विपक्षी दलों में से एक है जो प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। रब्बानी ने कहा कि अदालत को संसदीय कार्यवाही के तहत किस हद तक छूट प्राप्त है इसकी पड़ताल करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी हुआ है, उसे केवल ‘सिविलियन मार्शल लॉ’ कहा जा सकता है।’

'स्पीकर का फैसला गैरकानूनी था'
‘डॉन’ की खबर के मुताबिक, रब्बानी ने कहा कि स्पीकर का फैसला ‘गैर कानूनी’ था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-95 का हवाला देते हुए कहा, ‘बिना मतदान के किसी भी अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता।’ रब्बानी ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जानबूझकर एक कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था, जिसमें एक विदेशी साजिश का भी हवाला दिया गया।

'मतदान भी 3 अप्रैल को नहीं कराया गया'
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के वकील मखदूम अली खान ने कहा कि 152 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ नेशनल असेंबली को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया था जबकि 161 ने इसे पेश करने के पक्ष में मतदान किया था। उसके बाद, कार्यवाही 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। वकील ने बताया कि नियमों के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव पर बहस 31 मार्च को आयोजित की जानी थी। उन्होंने कहा, ‘लेकिन बहस नहीं हुई।’ उन्होंने कहा कि मतदान भी 3 अप्रैल को नहीं कराया गया।

PTI के वकील बुधवार को करेंगे बहस
पीएमएल-एन के वकील ने तर्क दिया कि अदालत अवैध और असंवैधानिक कदम की न्यायिक समीक्षा कर सकती है। प्रधानमंत्री खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के वकील बाबर अवान ने कहा कि वह बुधवार को अदालत में बहस करेंगे। बैरिस्टर अली जफर मामले में राष्ट्रपति अल्वी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इम्तियाज कुरैशी ने कहा कि वह खान का प्रतिनिधित्व करेंगे। एजीपी खालिद जावेद खान ने पीठ को सूचित किया कि वह वकीलों की दलीलें समाप्त होने के बाद गुरुवार को अपनी दलीलें देंगे।

'बुधवार तक आदेश जारी करने की कोशिश करेंगे'
जावेद खान ने कहा कि वह अदालत को विस्तार से जानकारी देना चाहते हैं क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। जस्टिस इजाजुल अहसान ने कहा, ‘हालांकि समय बीता जा रहा है, अदालत जल्दबाजी में मामले का फैसला नहीं कर सकती है।’ हालांकि, चीफ जस्टिस बंदियाल ने कहा कि बेंच बुधवार तक आदेश जारी करने का प्रयास करेगी। बहस के बाद बेंच ने सुनवाई को बुधवार सुबह 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) तक के लिये स्थगित कर दिया।

इमरान को मिलेगी राहत या होगी आफत?
सुनवाई के दौरान विपक्षी वकीलों ने अदालत से मामले को जल्द से जल्द निपटाने के लिए आदेश जारी करने को कहा। बेंच ने सरकार और विपक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाने का आश्वासन दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि फैसला अगर खान के अनुकूल होता है तो 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे, और अगर अदालत उपाध्यक्ष के खिलाफ फैसला सुनाती है तो संसद का सत्र फिर से बुलाया जाएगा और खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा।

मामले में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी हैं प्रतिवादी
चीफ जस्टिस बंदियाल ने सोमवार को कहा था कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा दिए गए सभी आदेश और कार्रवाई अदालत के आदेश के अधीन होगी। मामले में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सभी राजनीतिक दलों को प्रतिवादी बनाया गया है। अदालत का निर्णय नेशनल असेंबली को भंग करने के राष्ट्रपति के आदेश की वैधता को भी निर्धारित करेगा। (भाषा)

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