क्या आप जानते हैं कि भारत और पोलैंड के बीच संबंध बेहद पुराने और मजबूत हैं। संबंध कितने मजबूत हैं इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि आज भी पोलैंड के संसद में सत्र की शुरुआत होती है तो जामनगर का स्मरण किया जाता है। सत्र शुरू होने पर सबसे पहले महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंह को याद किया जाता है। ये वो सम्मान है जो पैलैंड के लोग भारतीय राजा को देते हैं। इस सम्मान के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है...तो चलिए आपको बताते हैं कि महाराज दिग्विजयसिंह और पोलैंड का रिश्ता क्या था, कितना मजबूत था।
महाराजा के नाम पर सड़कों के नाम
यहां यह भी बता दें कि, पोलैंड में आज भी जामनगर की खूब चर्चा होती है और लोगों में यहां के प्रति बड़ा सम्मान है। कहा तो यहां तक जाता है कि महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंह को पोलैंड में भगवान की तरह पूजा जाता है। उनकी दयालुता की कहानी आज भी लोगों को बताई जाती है। पोलैंड जाने पर आपको महाराजा के नाम पर कई सड़कों के नाम मिल जाएंगे। लोग आज भी महाराजा दिग्विजयसिंह को याद करते हैं और उनके बारे में बात करते हैं।
जामनगर और पोलैंड के बीच कनेक्शन
पोलैंड में महाराजा दिग्विजयसिंह के इतना सम्मान क्यों है, इसके पीछे की वजह महराज की दयालुता है। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के समय जामनगर के महाराजा ने पोलैंड के सैकड़ों नागरिकों को अपने यहां शरण दी थी। 700 से अधिक पोलैंड के बच्चे और महिलाओं को महाराजा ने ना केवल शरण दी, बल्कि बच्चों का स्कूलों में दाखिला भी कराया था। महाराजा ने शरणार्थियों का पूरा ख्याल रखा था और उनकी हरसंभव सहायता भी की।
ऐसे पहुंचे भारत
पोलैंड के लोग भारत कैसे पहुंचे यह जानना भी बड़ा दिलचस्प है। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जब हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया तब पोलैंड के सैनिकों ने 500 महिलाओं और करीब 200 बच्चों को जहाज में बैठाकर विदा कर दिया था। सैनिकों ने उस समय कहा था कि जिस देश में शरण मिल जाए, वहां चले जाओ और फिर स्थिति नियंत्रण में होने पर वापस लौट आना।
कहीं नहीं मिली शरण
हालात ऐसे बन गए थे कि पोलैंड के नागरिकों को किसी देश में शरण नहीं मिली। आखिर में पोलैंड के नागरिकों का जहाज जामनगर के तट पर पहुंचा। तब के जाम महाराजा दिग्विजय सिंह को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने पोलैंड की महिलाओं और बच्चों लिए अपना महल के दरवाजे खोल दिया। महाराजा ना केवल पोलैंड के लोगो को आश्रय दिया, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा का भी ध्यान रखा। पोलैंड के ये शरणार्थी करीब एक दशक तक जामनगर में रहे। महाराजा की इसी दयालुता के कारण पोलैंड में जामनगर महाराजा दिग्विजय सिंह को आझ भी बड़े आदर के साथ याद किया जाता है।
पीएम मोदी ने किया जिक्र
पोलैंड और भारत के संबंधों पर चर्चा इस वजह से हो रही है क्योंकि जामनगर में पीएम नरेंद्र मोदी ने स बात का जिक्र किया है। अपनी जनसभा में पीएम मोदी ने कहा कि जामनगर के राजा दिग्विजयसिंह की वजह से आज भारत और पोलैंड के रिश्ते काफी मजबूत है क्योंकि उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पोलैंड के नागरिकों को जामनगर में पनाह दी थी और उनके लिए अलग व्यवस्था की थी। उन्होंने जो बीज बोए इसके कारण आज भी पोलैंड के साथ हमारे रिश्ते मजबूत हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आज भी पोलैंड के संसद में सत्र की शुरुआत होती है तो जामनगर का स्मरण किया जाता है। सत्र शुरू होने पर सबसे पहले महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंह को याद किया जाता है।
पीएम मोदी को मिला 'विजयी भव' का आशीर्वाद
दरअसल, भारत में लोकसभा चुनाव के लेकर 2 चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। तीसरे चरण के लिए गुजरात में भी मतदान होना है जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे दमखम के साथ प्रचार में लगे हुए है। इसी क्रम में पीएम मोदी ने जामनगर पहुंचे थे और राजा शत्रुल्यसिंह से भेंट की थी। जाम साहब ने पीएम मोदी को पगड़ी पहनाते हुए विजयी भव का आशीर्वाद भी दिया, जिसका जिक्र बाद में पीएम मोदी ने अपनी जनसभा में भी किया।
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