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World Heritage: विश्व विरासत की सूची से क्यों हटने वाला है मोहनजोदड़ों का नाम, जानें क्या है इसका इतिहास

​World Heritage: मानव सभ्यताओं के प्राचीन इतिहास में आपने हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की सभ्यता का इतिहास तो पढ़ा ही होगा। यह बात अलग है कि आपको अब शायद इसके बारे में उतना सबकुछ याद न रहा हो।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Updated on: September 04, 2022 19:25 IST
Mohanjodaron- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mohanjodaron

Highlights

  • मानव की प्राचीन सभ्यता घाटी मोहनजोदड़ों को पहुंचा नुकसान
  • पाकिस्तान में हुई भारी बारिश से मोहनजोदड़ों के खंडहरों में भरा पानी
  • पाकिस्तान की लापरवाही विश्व धरोहर के अस्तित्व पर पड़ रही भारी

World Heritage: मानव सभ्यताओं के प्राचीन इतिहास में आपने हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की सभ्यता का इतिहास तो पढ़ा ही होगा। यह बात अलग है कि आपको अब शायद इसके बारे में उतना सबकुछ याद न रहा हो। इस दौरान पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग ने मोहनजोदड़ो में संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य की ओर तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अगर ध्यान नहीं दिया गया तो इस साइट को विश्व विरासत सूची से बाहर किया जा सकता है।

रिकॉर्ड बारिश से मोहनजोदड़ों के खंडहरों को पहुंचा नुकसान

पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार मोहनजोदड़ों के पुरातात्विक खंडहरों में रिकॉर्ड बारिश हुई है -- 779.5 मिमी, जो 16 अगस्त से 26 अगस्त तक जारी रही। इसके चलते साइट को काफी नुकसान हुआ है और स्तूप गुंबद की सुरक्षा दीवार सहित कई दीवारें आंशिक रूप से गिर गईं। ऐसे में इसके संरक्षण की तत्काल जरूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो विश्व विरासत की सूची से इसका नाम हट सकता है। पता चला कि साइट के क्यूरेटर ने 29 अगस्त को निदेशक, संस्कृति, पुरावशेष और पुरातत्व को लिखे अपने पत्र में कहा, "हमने अपने संसाधनों से साइट की सुरक्षा के लिए प्रयास किए हैं।"

 

मोहनजोदड़ों का इतिहास

यह सिंधु घाटी सभ्यता में स्थित हड़प्पा के अंतर्गत आने वाला प्राचीन मानव सभ्यता का नगर है। यहां 4600 वर्ष से भी अधिक पुराने शहर और मानव सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। यह पूरा बसा बसाया नगर था। जहां मानव सभ्यता के पूरे प्रमाण मौजूद हैं। इसीलिए यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित कर रखा है। 

लापरवाही से विश्व धरोहर को पहुंचा नुकसान
इधर सूत्रों ने कहा, विश्व धरोहर स्थल की सुरक्षा के लिए अन्य विभागों - सिंचाई, सड़क, राजमार्ग और वन - की भूमिका काफी आवश्यक थी, क्योंकि जमींदारों और किसानों ने मोहनजोदड़ो के चैनल में पानी छोड़ने के लिए न केवल पाइप डाले बल्कि नहरों और सड़कों को काट दिया। हालांकि, इन सभी विभागों की ओर से लापरवाही के कारण, आस-पास की कृषि भूमि से वर्षा जल निपटान चैनल भर गया था। पाकिस्तान की लापरवाही के कारण विश्व धरोहर को इतना अधिक नुकसान पहुंचा है। 

साइट से पानी निकालने में की गई देरी
रिपोर्ट के अनुसार मोहनजोदड़ों में बारिश के बाद साइट से पानी निकालने में देरी हुई, पत्र में कहा गया है कि पानी परिसर में भी प्रवेश कर गया था। बारिश के बाद, साइट पर संबंधित अधिकारी ने कहा, "हम सिंधु के स्तर में लगातार वृद्धि चलते एक और आपात स्थिति का सामना कर रहे हैं। अगर इस दौरान ही पानी निकाल दिया गया होता तो शायद इतना नुकसान नहीं होता। मगर ये लापरवाही के कारण ही हुआ है। इसके लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। 

नहीं किया गया स्थल का निरीक्षण
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि सिंधु में जल स्तर कम है, मोहनजोदड़ो के पास सुरक्षा बांध पर पक्की सड़क के निर्माण के कारण, दरारें, और खतरनाक नालियां बन गई। विभाग ने स्थानीय सिंचाई अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कोई भी स्थल का निरीक्षण करने और स्थिति का आकलन करने के लिए नहीं आया। इसलिए भी मोहनजोदड़ों की उचित देखभाल नहीं हो पा रही। यह चिंता का विषय है। अभी भी वक्त है। इसे संरक्षित करने के प्रयास नहीं किए गए तो बहुत देर हो जाएगी। 

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