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नेपाल-चीन क्रॉस बॉर्डर रेलवे लाइन को लेकर क्यों जल्दबाजी में है ड्रैगन, जानें भारत को क्या होगा नुकसान?

Nepal-China Cross Border Railway: नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के गठन के एक दिन बाद ही शी जिनपिंग नेपाल-चीन क्रॉस-बॉर्डर रेलवे लाइन को लेकर सक्रिय हो गए हैं। चीन को इस प्रोजेक्ट को लेकर इतनी जल्दबाजी है कि प्रचंड के पीएम बनने के दूसरे ही दिन उसने इस प्रोजेक्ट के अध्ययन के लिए एक टीम काठमांडू भेज दी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: December 27, 2022 22:47 IST
चीन के तकनीकी विशेषज्ञ (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP चीन के तकनीकी विशेषज्ञ (प्रतीकात्मक फोटो)

Nepal-China Cross Border Railway: नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के गठन के एक दिन बाद ही शी जिनपिंग नेपाल-चीन क्रॉस-बॉर्डर रेलवे लाइन को लेकर सक्रिय हो गए हैं। चीन को इस प्रोजेक्ट को लेकर इतनी जल्दबाजी है कि प्रचंड के पीएम बनने के दूसरे ही दिन उसने इस प्रोजेक्ट के अध्ययन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम काठमांडू भेज दी। सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड को सोमवार को ही अन्य कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल के समर्थन से पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी।

काठमांडू में चीनी दूतावास ने ट्वीटर पोस्ट में कहा- चीन-नेपाल क्रॉस-बॉर्डर रेलवे के व्यवहार्यता अध्ययन और सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञ दल मंगलवार को पहुंचा और प्रभारी डी अफेयर्स वांग शिन ने उसका स्वागत किया, यह हमारे नेताओं की सहमति का एक महत्वपूर्ण कार्यान्वयन है और नेपाल के फायदे के लिए ठोस कदम है। नेपाली मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चीनी पक्ष चीनी अनुदान के तहत व्यवहार्यता को पूरा करेगा, जिस पर लगभग 180.47 मिलियन आरएमबी या 3.5 बिलियन नेपाली रुपये खर्च होंगे। परियोजना के व्यवहार्यता अध्ययन को पूरा करने में लगभग 42 महीने लगेंगे। अगस्त 2022 में नेपाल के निवर्तमान विदेश मंत्री नारायण खड़का की चीन यात्रा के दौरान चीन ने दिसंबर के अंत में तकनीकी टीम भेजने पर सहमति जताई थी।

72 किमी लंबी होगी रेलवे लाइन

नेपाल के रेलवे विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नेपाली और चीनी मंत्रियों के बीच हुए समझौते के अनुसार चीनी पक्ष ने केरुंग-काठमांडू रेलवे की व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम काठमांडू भेजी है, जो 72 किलोमीटर लंबी होगी। चीन रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ग्रुप द्वारा किए गए प्रस्तावित रेलवे लाइन के पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन में कहा गया है कि रेल परियोजना को पूरा करने के लिए करीब 3 अरब डॉलर खर्च होंगे। कंपनी ने 2018 में प्रॉजेक्ट की प्री-फिजिबिलिटी स्टडी की थी। काठमांडू में चीनी दूतावास द्वारा जारी बयान में कहा गया- चीन-नेपाल क्रॉस-बोर्ड रेलवे की व्यवहार्यता अध्ययन और सर्वेक्षण करने के लिए चीनी विशेषज्ञों का पहला जत्था मंगलवार को काठमांडू पहुंचा, नेपाली लोगों का एक लंबे समय से पोषित सपना रहा है और हमारे दोनों देशों के नेताओं द्वारा एक महत्वपूर्ण सहमति बनी है।

चीन के बीआरआइ का अहम हिस्सा है क्रॉस बॉर्डर रेलवे लाइन प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट चीन और नेपाल के बीच संयुक्त रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) के निर्माण का एक अभिन्न हिस्सा है। चीन इस संबंध में नेपाल की आकांक्षाओं और जरूरतों को प्राथमिकता देता है, और चीन सहायता कोष के साथ व्यवहार्यता अध्ययन को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाएगा। ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क के निर्माण की दृष्टि से दोनों देश संयुक्त रूप से आगे काम करने के लिए निकट संपर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। नेपाल और चीन ने 2017 में बीआरआइ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक प्रमुख परियोजना कहा जाता है, लेकिन इस क्रॉस बॉर्डर रेलवे के बावजूद नेपाल की ओर से किसी भी परियोजना को नहीं चुना गया है।

क्रॉस-बॉर्डर लाइन और बीआरआइ के जरिये भारत तक पहुंच बनाना चाहता है चीन
चीन इन दोनों प्रोजेक्ट के जरिये भारत तक अपनी पहुंच को मजबूत करना चाहता है। यह उसके सामरिक रणनीति का अहम हिस्सा है। 2018 के पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन के अनुसार जटिल भूगर्भीय इलाके और श्रमसाध्य इंजीनियरिंग कार्यभार चीनी सीमावर्ती शहर केरुंग को काठमांडू से जोड़ने वाली क्रॉस बॉर्डर रेलवे लाइन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनेंगे। रेलवे लाइन जिसे ऊबड़-खाबड़ हिमालय के ऊंचे पहाड़ों से होकर गुजरना है। जून में बीजिंग की अपनी यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधान मंत्री केपी ओली द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते के बाद, चीन रेलवे प्रथम सर्वेक्षण और डिजाइन संस्थान ने काठमांडू से केरुंग तक प्रस्तावित 121 किलोमीटर रेलवे का एक महीने का तकनीकी अध्ययन किया था।

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