Friday, November 22, 2024
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पाकिस्‍तान में क्‍यों बलूचियों का निशाना बन रहे हैं चीनी नागरिक, क्या है पाकिस्तानियों की मंशा?

सीपैक यानी चीन और पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शी जिनपिंग के सपनों का प्रोजेक्ट है। लेकिन पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लोगों को चीन और इनके प्रोजेक्ट्स में लगे चीनी अधिकारी और कर्मचारी बिल्कुल रास नहीं आते हैं। सवाल यह है कि पाकिस्तान जो चीन को हितैषी मानता है, उसी के देश के नागरिक चीनियों को नापसंद क्यों करते है?

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 21, 2023 18:31 IST
Explainer: पाकिस्‍तान में क्‍यों बलूचों का निशाना बन रहे हैं चीनी नागरिक, क्या है पाकिस्तानियों की म- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Explainer: पाकिस्‍तान में क्‍यों बलूचों का निशाना बन रहे हैं चीनी नागरिक, क्या है पाकिस्तानियों की मंशा?

China-Pakistan on CPEC: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सपनों की योजना है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए पाकिस्तान के ब​लूचिस्तान प्रांत में बड़े पैमाने पर धड़ल्ले से काम ल रहा है। इन प्रोजेक्ट के पीछे चीन का मकसद चीन से ग्वादर पोर्ट तक आर्थिक गलियारा बनाना है। जिससे कि वह कारोबार कर सके। हालांकि ऐसे प्रोजेक्ट बलूच लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहे हैं। कई बार चीनी अधिकारियों को इनके गुस्से का सामना करना पड़ा है। पिछले दिनों भी चीनी इंजीनियरों के काफिले पर जानलेवा हमला हुआ था। जैसे तैसे 23 चीनी इंजीनियरों की जान बची थी। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जहां चीन द्वारा बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन का काम किया जा रहा है। इस पर बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने कड़ा ऐतराज जताया है। साथ ही अल्टीमेटम दे डाला है कि 90 दिन में अपने प्रोजेक्ट यहां से हटाकर चले जाएं। इस पर चीन आगबबूला भी हुआ और पाकिस्तान सरकार से चिंता जताई। सवाल यह है कि आखिर बलूच प्रांत के लोग चीन के इस कंस्ट्रक्शन से परेशान और नाराज क्यों हैं? पढ़िए पूरी खबर।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा दोनों देशों के बीच की सबसे महत्वापूर्ण योजना है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान में चीनी कंपनियों के कई अन्य प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं। चीन पाकिस्तान को आर्थिक गुलाम बनाने और भारत पर नैतिक दबाव बनाने के इरादे से पाक में रुपये का निवेश कर रहा है। सवाल यह उठता है कि चीन के लिए बलूचिस्तान इतना अहम क्यों हैं? दरअसल, बलूचिस्तान के समुद्री किनारे पर मौजूद ग्वादर बंदरगाह चीन की उस रणनीति का एक अहम हिस्सा है जिसके तहत वो करोड़ों डॉलर्स खर्च करके चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है। लेकिन चीन की राह इतनी आसान नहीं हैं। 

पाकिस्‍तान में क्‍यों बलूचियों का निशाना बन रहे हैं चीनी नागरिक, क्या है पाकिस्तानियों की मंशा?
Image Source : INDIA TV
पाकिस्‍तान में क्‍यों बलूचियों का निशाना बन रहे हैं चीनी नागरिक, क्या है पाकिस्तानियों की मंशा?

बलूच लोग चीनियों पर लगातार हमले करते रहे हैं। 13 अगस्त को हमला हुआ उसका निशाना चीनी इंजीनियर्स को ले जा रही बस ही थी। इसके बाद अप्रैल 2022 में चीन के प्रोफेसर्स को ले जा रही एक वैन पर एक महिला फिदायीन ने हमला किया था, जिसमें चार चीनी प्रोफेसर्स की मौत हो गई थी। इससे पहले 2020, 2018 और 2017 में भी चीनी नागरिकों पर हमले हो चुके हैं। बलूचिस्तान में हुए हमलों में 23 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। 

चीन के प्रति क्यों गुस्से से भड़क रहे हैं बलूच प्रांत के लोग?

पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान में इस समय जो कुछ भी हो रहा है, उसके बाद चीन को यह बात समझ में आ गई है कि उसके नागरिक यहां पर बेहद असुरक्षित हैं। दरअसल, चीन सीपैक के तहत जो भी प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में चला रहा है, इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इन प्रोजेक्‍ट्स के कारण बलूचों को अपने गांवों को छोड़ कर जाना पड़ रहा है। यही विस्‍थापन गुस्‍से को और भड़का रहा है। यहां लोगों के रोजगार, घर सब जमे हुए हैं, लेकिन चीनी काम से यहां के लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है, यह इन लोगों के गुस्से की सबसे बड़ी वजह है। 

बीएलए ने उठाया है बलूचियों के आक्रोश का झंडा

चीन के विकास और इससे जुड़े कई इनफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स को बलूचों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। इन प्रोजेक्‍ट्स के कारण बलूचों को अपने गांवों को छोड़ कर जाना पड़ रहा है। यही विस्‍थापन गुस्‍से को और भड़का रहा है। इन स्थानीय नागरिकों की मंशा है कि चीन के प्रोजेक्ट्स बंद हों और उन्हें यहां परंपरागत काम करने दिया जाए, उनकी आजादी में दखल न डाला जाए। इसी उद्देश्य को लेकर वे अक्सर हिंसक हो जाते हैं। इन लोगों के आक्रोश का झंडा बीएलए ने उठाया है।

विस्‍थापन की वजह है चीन, तभी बीएलए कर रही लगातार हमले

बलूचिस्‍तान में इस समय चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के कई प्रोजेक्‍ट्स चल रहे हैं। ग्वादर बंदरगाह में चीन की मौजूदगी ने मौजूदा समस्याओं को बढ़ा दिया है। पिछले दिनों चीनी कर्मियों को ले जा रहे एक काफिले को बलूच विद्रोहियों ने निशाना बनाया था। पिछले साल, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के एक आत्मघाती हमलावर ने कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट से जुड़े तीन चीनी टीचर्स और उनके पाकिस्तानी ड्राइवर की हत्या कर दी थी।

सामरिक दृष्टि से चीन को क्या है फायदा? 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ग्वादर बंदरगाह, बीजिंग को हिंद महासागर क्षेत्र तक रास्‍ता देता है। जबकि क्षेत्र में एक मिलिट्री बेस की संभावनाओं को भी मजबूत करता है। दिक्कत यह है कि बंदरगाह को पूरी तरह से पाकिस्‍तान की सरकार ऑपरेट करती है। यहां पर सिर्फ चीनी नागरिकों को ही रोजगार दिया गया है। इस कारण स्थानीय लोगों को कोई रोजगार नहीं मिल पाता है। इस प्रोजेक्ट का उन्हें कोई लाभ न मिलता देख वे नाराज रहते हैं। यही नहीं,  विशेषज्ञों के अनुसार बलूचिस्‍तान के सैंडक में सोने की खदान भी चीनियों को मालामाल कर रही है। इस खदान को चीन की तरफ से ही संचालित किया जाता है। इससे चीन भारी मुनाफा कमा रहा है, जबकि स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

सीपीईसी और बीआरआई का विरोध करता है भारत

भारत शुरू से ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का विरोध करता रहा है। इसके अलावा चीन पाकिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर भी काम कर रहा है। पाकिस्तान में चीन का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसे चीन पीओके से ले जा रहा है। इस वजह से भारत ने सीपीईसी के साथ बीआरआई का भी कड़ा प्रतिरोध जता चुका है। मगर चीन मानने को तैयार नहीं है। चीन बीआरआई के जरिये भारत की पाकिस्तान से लगी सीमा तक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। \

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