Mahrang Baloch: पाकिस्तान की रहने वाली बेहद खूबसूरत महरंग बालूच महज 31 साल की हैं और बेहद खूबसूरत हैं। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की सेना इनसे बहुत डरती है, घबराती है। क्योंकि महरंग बालूच जो कि पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन उन्होंने अकेले दम पर बलूचिस्तानियों की आवाज बनकर झंडा उठाया है। वे बलूच प्रतिरोध की एक प्रतीक हैं। जो पाकिस्तानी आर्मी बलूच में कभी भी किसी को भी उठा ले जाती है, पाक आर्मी के ऐसे कृत्यों के विरोध की मसीहा बन गई है महरंग बालूच। लेकिन बभी महरंग बलूच के परिवार को को भी पाकिस्तान आर्मी की 'कायराना' हरकतों का सामना करना पड़ा था, कभी महरंग के पिता तो कभी उसके भाई को बलपूर्वक उठाकर ले जाने वाली पाकिस्तानी सेना को इस खूबसूरत महरंग के आगे हार मानना पड़ा। जानिए क्या है महरंग का प्रतिशोध, क्यों इस खूबसूरत चेहरे वाली महिला से पाकिस्तानी आर्मी खौफ खाती है।
महरंग बालूच पेशे से एक डॉक्टर हैं, लेकिन इस क्षेत्र के लोग महरंग को सहानुभूति और करुणा की प्रतिमूर्ति मानते हैं। वे डॉक्टर होने के बावजूद बलूच लोगों की आवाज बन गईं और अब वे एक सामाजिक कार्यकार्ता हैं, जो 16 साल की उम्र से पाकिस्तान की सेना के खिलाफ जंग लड़ रहीं हैं। वह बलूचिस्तान में सेना द्वारा गैरकानूनी तरीके से लोगों के गायब किए जाने और नियम के विरुद्ध हत्या जैसे उत्पीड़न के खिलाफ लड़ रही हैं। पाक आर्मी के खिलाफ उन्होंने इसी के खिलाफ जंग छेड़ रखी है।
वामपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता की बेटी हैं महरंग
बलूच मुस्लिम परिवार में जन्मीं महरंग बालूच की 5 बहनें और 1 भाई हैं। उनका परिवार बलूचिस्तान के कलात का मूल रूप से रहने वाला है। महरंग पेशे से डॉक्टर हैं। उनके पिता का नाम अब्दुल गफ्फार बालूच है, जो एक मजदूर और वामपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता थे।
16 साल की थी, जब पाक आर्मी ने की कायराना करतूत
महरंग उस समय जब केवल 16 वर्ष का थीं।, तब 2009 में सेना उनके पिता को बलात् उठा ले गई थी। साल 2011 में उनके पिता सुनसान जगह पर मृत पाए गए थे। उनके शरीर पर टॉर्चर के निशान थे। उसी समय महरंग ने यह प्रतिज्ञा ली कि उनके साथ जो हुआ, वो और किसी बलूच के साथ कभी नहीं होने देंगी। लिहाजा उन्होंने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उनके इस कदम को बलूचियों का भी साथ मिलने लगा।
महरंग के भाई को उठा ले गई थी पाकिस्तान फौज, फिर क्या हुआ?
साल 2017 में एक बार फिर महरंग के परिवार के साथ बुरा बर्ताव हुआ। दरअसल, पाकिस्तानी आर्मी एक बार फिर उनके इकलौते भाई को बलपूर्वक उठाकर ले गई, लेकिन महरंग ने हार नहीं मानी और पाक आर्मी का कठोर विरोध शुरू कर दिया। महरंग ने पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। फिर क्या था, सेना को आखिरकार उनके आगे घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा और 3 महीने तक उनके भाई को हिरासत में रखने वाली पाक सेना ने आखिरकार उनके भाई को मजबूरन सकुशल छोड़ दिया।
महरंग ही नहीं, ऐसे हर बलूच परिवार सेना से परेशान
पाकिस्तान आर्मी के ऐसी हरकतें सिर्फ उनके परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वास्तविकता है और पाक आर्मी के ऐसी हरकतों का सामना कई बलूच परिवारों को करना पड़ता है और यही वास्तविकता है। उनके घरों के रक्षक पाकिस्तानी फौज द्वारा छीन लिए जाते हैं। और उनके परिवार वर्षों तक अंधेरे में रह जाते हैं। ऐसे में बलूच लोगों को उन्हें पता नहीं चलता कि उनके परिजन जीवित हैं या मर गए।
पाक फौज के कड़े प्रतिकार की प्रतीक हैं महरंग बालूच
सामाजिक कार्यकर्ता महरंग बालूच अपने पूरे कुनबे के लिए पाक आर्मी के खिलाफ झंडा उठा रही हैं। वे प्रतिरोध की प्रतीक हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे बलूचिस्तान के लोगों के लिए सेना के खिलाफ खड़े और लड़ने का बीड़ा उठाया है। वह सीटीडी (आतंकवाद-रोधी विभाग) द्वारा न्यायेतर हत्याओं और अपहरणों के खिलाफ अथक अभियान चलाती हैं। यही नहीं, पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय और केस बंद की मांग करती हैं। उनके इस काम को बलूच समाज की ओर से भी सहयोग मिल रहा है, उनसे प्रभावित होकर समाज की और भी महिलाएं उनका अनुसरण करने की दिशा में आगे बढ़ने लगी हैं।