जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से निकले रेडियोएक्टिव जल को समुद्र में छोड़े जाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कई देश इसे समुद्र में छोड़ने से समुद्री जीव-जंतुओं के नष्ट होने का खतरा जता रहे हैं। साथ ही समुद्र में आक्सीजन कम होने व आसपास के वातारणरण पर इसके दुष्प्रभाव की आशंका भी जताई जा रही है। मगर अब संयुक्त राष्ट्र जापान के इस इस कदम के पक्ष में खड़ा हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र परमाणु एजेंसी के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रॉसी ने बुधवार को कहा कि उपचारित रेडियोधर्मी जल को समुद्र में छोड़ने की योजना, एक अनोखी योजना है जिसे उक्त स्थान पर लागू करने के लिए विशेषतौर पर तैयार किया गया है। ग्रॉसी चार दिवसीय जापान यात्रा पर हैं और वह क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का बुधवार को दौरा करेंगे। कई मेयर तथा मत्स्य संगठनों के प्रमुखों की चिंताओं को सुनने और उन्हें योजना की सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए सरकार और संबंधित अधिकारियों की बैठक में भी वह शामिल हुए। ग्रॉसी ने संयंत्र से करीब 40 किलोमीटर दक्षिण में इवाकी में कहा, ‘‘ कुछ भी असामान्य नहीं हो रहा है।
जल नहीं छोड़े जाने से नुकसान
यह एक अनोखी योजना है जिसे केवल यहां लागू करने और आपके लिए तैयार किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आईएईए जितना ही प्रमाणित है।’’ ग्रॉसी ने कहा कि जहां तक लोगों की चिंता व शंकाओं का सवाल है, ‘‘ मैं यह स्वीकार करना चाहूंगा कि मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। मगर हम एक चीज जरूर कर सकते हैं। हम आने वाले दशकों तक आपके साथ यहां रहेंगे जब तक कि रिएक्टर के आसपास जमा जल की आखिरी बूंद भी सुरक्षित रूप से बाहर नहीं निकल दी जाती।’’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि आईएईए आने वाले दशकों में योजना की समीक्षा, निरीक्षण और वैधता की जांच करना जारी रखेगा। आईएईए ने मंगलवार को जारी अंतिम रिपोर्ट में अपशिष्ट जल छोड़ने की योजना पर अपना निष्कर्ष पेश किया। इसमें कहा गया कि जल को काफी हद तक उपचारित करने की कोशिश की गई लेकिन इसमें अब भी कुछ रेडियोधर्मिता हैं।
यूएन ने कही ये बात
शोधित रेडियोएक्टिव जल को समुद्र में छोड़े जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और इसका पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव नगण्य होगा। स्थानीय मत्स्य संगठन इस योजना के खिलाफ है। दक्षिण कोरिया, चीन और कुछ प्रशांत द्वीप राष्ट्र भी सुरक्षा चिंताओं और राजनीतिक कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं। ग्रॉसी ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएईए जल छोड़ने की प्रक्रिया की निगरानी एवं आकलन करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं पारदर्शिता में विश्वास करता हूं। मैं स्पष्ट बातचीत में विश्वास करता हूं और हम जो कर रहे हैं उसके वैध होने में विश्वास करता हूं।’’ ग्रॉसी ने कहा कि रिपोर्ट एक ‘‘व्यापक, तटस्थ व वैज्ञानिक मूल्यांकन’’ पर आधारित है। हम इसको लेकर आश्वस्त हैं।’
’ जापान ने योजना के लिए विश्वसनीयता हासिल करने के वास्ते आईएईए से समर्थन मांगा था और आश्वासन दिया था कि उसके सुरक्षा उपाय अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। आईएईए अधिकारियों ने 2022 की शुरुआत से जापान की कई यात्राएं की हैं, हालांकि उन्होंने लगातार यह स्पष्ट किया है कि अपशिष्ट जल छोड़ने के बारे में कोई फैसला जापान सरकार ही लेगी। 11 मार्च 2011 में भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा दाइची संयंत्र की ‘कूलिंग प्रणाली’ को तबाह कर दिया था जिससे तीन रिएक्टर पिघल गए थे और बड़ी मात्रा में रेडिएशन फैला था। (भाषा)
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