Voting For Nepal Parliament:नेपाल में नयी संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए रविवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान शुरू हो गया। नेपाल में मतदाता उस राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने की उम्मीद में मतदान कर रहे हैं, जो एक दशक से अधिक समय से देश के लिए चिंता का कारण बनी हुई है और जिसने विकास को बाधित किया है। देशभर में 22,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया, जो शाम पांच बजे तक चलेगा।
आज रात से शुरू हो जाएगी काउंटिंग
मुख्य निर्वाचन आयुक्त दिनेश कुमार थपलियाल ने बताया कि मतगणना कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार रात नौ बजे से शुरू होगी। थपलियाल ने भक्तपुर में यूनिक नेपाल एकेडमी में प्रतिनिधि सभा और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए मतदान करने के बाद कहा कि मतदान शाम पांच बजे खत्म हो जाएगा और सभी मत पेटियां शाम सात बजे तक मतगणना केंद्रों में एकत्र की जाएंगी। नेपाली मीडिया ने उनके हवाले से कहा, ‘‘इसके बाद हम करीब एक घंटे तक सभी दलों के साथ बैठक करेंगे और हमें रात नौ बजे तक मतगणना शुरू होने की उम्मीद है।’’ उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों में मतपेटियां एकत्रित करने में समय लगेगा, इसलिए वहां मतगणना सोमवार सुबह शुरू होगी।
275 संघीय और 550 प्रांतीय सीटों के लिए हो रहा मतदान
चुनाव के लिए 10,892 मतदान केंद्र बनाए गए हैं और इसके लिए 17,988,570 लोग मतदान के पात्र हैं। थपलियाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस बार करीब 70 फीसदी मतदान की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आयोग अगले आठ दिन में चुनाव के सभी नतीजों की घोषणा कर देगा , जबकि आनुपातिक प्रतिनिधित्व चुनाव के नतीजों की घोषणा आठ दिसंबर तक होगी। नेपाल में संघीय संसद की 275 सीटों और सात प्रांतीय विधानसभाओं की 550 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 का चयन प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा, जबकि बाकी 110 को ‘आनुपातिक चुनाव प्रणाली’ के माध्यम से चुना जाएगा। इसी तरह, प्रांतीय विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में से 330 का चयन प्रत्यक्ष, जबकि 220 का चयन आनुपातिक प्रणाली से होगा।
2006 के बाद से नेपाल में कोई भी प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाया कार्यकाल
चुनावों पर करीबी नजर रखने वाले राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने त्रिशंकु संसद और एक ऐसी सरकार के गठन का अनुमान जताया है, जो नेपाल में आवश्यक राजनीतिक स्थिरता प्रदान नहीं कर पाएगी। नेपाल में करीब एक दशक तक रहे माओवादी उग्रवाद की समाप्ति के बाद से संसद में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है और 2006 में गृह युद्ध के खत्म होने के बाद से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। नेतृत्व में बार-बार बदलाव और राजनीतिक दलों के बीच आपसी विवाद को देश के धीमे आर्थिक विकास का कारण बताया जाता है। चुनावी मैदान में दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधन हैं-सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाला लोकतांत्रिक एवं वामपंथी गठबंधन और सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) के नेतृत्व वाला वामपंथी, हिंदू एवं राजशाही समर्थक गठबंधन।
अगली सरकार के सामने एक स्थिर राजनीतिक प्रशासन बनाए रखने, पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने और अपने पड़ोसियों चीन एवं भारत के साथ संबंधों को संतुलित करने जैसी चुनौतियां होंगी। नेपाल के निर्वाचन आयोग ने सभी 77 जिलों में चुनाव कराने के लिए 2,76,000 कर्मचारियों को तैनात किया है। शांतिपूर्ण मतदान के लिए करीब तीन लाख सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। संघीय संसद के लिए चुनाव लड़ने वाले कुल 2,412 उम्मीदवारों में से 867 निर्दलीय हैं।