Monday, November 25, 2024
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Russia-Ukraine War: यूक्रेन का युद्ध अब बन रहा पुतिन के गले की हड्डी, चीन अंदरखाने चल रहा रूस के खिलाफ चाल!

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के सात माह हो चुके हैं। अब इस युद्ध की चाल पूरी तरह बदल गई है। यूक्रेन युद्ध अब पुतिन के गले की ऐसी हड्डी बन गया है कि जिसे न तो वह निगल पा रहे हैं और न ही उगल। भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी की बात मानकर उन्होंने यूक्रेन के पास वार्ता का संदेश भेजा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 17, 2022 16:11 IST
Russia-Ukraine War- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Russia-Ukraine War

Highlights

  • सात माह के युद्ध में रूस और यूक्रेन ने झेला भारी नुकसान
  • यूक्रेन के चार राज्यों को अपना बनाने के बाद अब युद्ध नहीं चाहते पुतिन
  • जेलेंस्की अपने क्षेत्रों को रूस से पुनः वापस पाने के लिए कर रहे हैं संघर्ष

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के सात माह हो चुके हैं। अब इस युद्ध की चाल पूरी तरह बदल गई है। यूक्रेन युद्ध अब पुतिन के गले की ऐसी हड्डी बन गया है कि जिसे न तो वह निगल पा रहे हैं और न ही उगल। भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी की बात मानकर उन्होंने यूक्रेन के पास वार्ता का संदेश भेजा, लेकिन यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की तैयार नहीं हुए। पुतिन ने सोचा था कि यूक्रेन के चार राज्यों को उन्होंने रूस में मिला लिया है। अब अगर युद्ध थम जाता है तो इसमें बुराई नहीं है। इसे पुतिन की जीत ही माना जाएगा। मगर जेलेंस्की ने पुतिन के इस इरादे पर पानी फेर दिया है।

वहीं दूसरी तरफ युद्ध की भयावहता से यूक्रेन समर्थक देशों की संख्या बढ़ने लगी है। अब सऊदी और रियाद देशों ने भी यूक्रेन की मानवीयता के नाम पर मदद करना शुरू कर दिया है। यह पुतिन के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ऐसी स्थिति में पुतिन अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। अपने ही देश में पुतिन को भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार चीन भी अंदरखाने रूस की हार चाहता है। ऐसे में पुतिन को अब कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरने का दौर शुरू हो चुका है।

दुनिया के अधिकांश देशों ने छोड़ा पुतिन का साथ

व्लादिमीर पुतिन के अक्सर उद्धृत सिद्धांतों में से एक यह है कि ‘‘कभी-कभी यह साबित करने के लिए कि आप सही हैं, अकेला होना आवश्यक है’’। जैसे-जैसे यूक्रेन पर पुतिन का दुर्भाग्यपूर्ण आक्रमण जारी है, वह अपने इस सिद्धांत पर अमल की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।। न केवल विश्व मंच पर, बल्कि रूस के अंदर भी पुतिन तेजी से अलग-थलग दिख रहे हैं। युद्ध जितना लंबा चलेगा, उनके लिए देश या विदेश में किसी भी विश्वसनीयता के साथ खुद को इससे निकालना उतना ही कठिन होता जाएगा। वह यहां से कहां जाएंगे? घटते सहयोगी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में यूक्रेन में रूस द्वारा किए गए ‘‘जनमत संग्रह’’ की निंदा की गई, जिसमें पुतिन की जमकर आलोचना की गई, इस प्रस्ताव के पक्ष में 143 वोट, 35 इसका हिस्सा नहीं बने और पांच विरोध (स्वयं रूस सहित) में थे। यदि वोट को एक संकेत माना जाए, तो रूस के सिर्फ चार मित्र हैं: उत्तर कोरिया, सीरिया, बेलारूस और निकारागुआ।

China and Russia

Image Source : INDIA TV
China and Russia

चीन चाह रहा रूस की हार
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका के अतिरिक्त रूस और चीन दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्रों में हैं। चीन भले ही रूस के साथ होने का दिखावा कर रहा है, लेकिन वह अंदरखाने से रूस के साथ नहीं है। क्योंकि चीन को रूस की हार में अपनी भलाई दिखती है। यदि रूस हारता है तो चीन एशिया का अकेला ताकतवर देश बनने का गौरव हासिल कर लेगा। चीन की आंतरिक मंशा यही है। सूत्रों के अनुसार इसीलिए चीन चाहता है कि रूस की युद्ध में हार हो जाए। ऐसा होने पर चीन को एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि रूस की टेक्नॉलोजी समेत परमाणु हथियार तक चीन को ट्रांसफर हो जाएंगे। ऐसे में चीन बड़ी ताकत बन जाएगा। चीन का इरादा अमेरिका से भी ज्यादा शक्तिशाली होना है। ऐसा तभी संभव है जब रूस का पतन हो जाए।

भारत, चीन समेत 35 देशों ने नहीं लिया मतदान में भाग
रूस के खिलाफ होने वाले इस मतदान में भाग नहीं लेने वालों में चीन और भारत सहित मास्को पर प्रभाव वाले शक्तिशाली देशों ने सार्वजनिक रूप से पुतिन के युद्ध के बारे में अपनी बेचैनी का संकेत दे दिया है। मध्य पूर्व में, जहां मास्को ने गैर-हस्तक्षेप के लिए अपने अत्यधिक संदिग्ध समर्थन के इर्द-गिर्द राजनयिक दबदबा बनाने की कोशिश की है, कतर और कुवैत दोनों - दो ऊर्जा दिग्गज - ने यूक्रेन के क्षेत्र का सम्मान करने का आह्वान किया। इसके अलावा स्वतंत्र देशों के राष्ट्रमंडल के सभी सदस्यों ने जनमत में भाग नहीं लिया, जॉर्जिया और मोल्दोवा ने अपवाद के रूप में रूस की निंदा करने के पक्ष में मतदान किया, और बेलारूस ने मास्को के साथ मतदान किया। घरेलू मोर्चा घरेलू मोर्चे पर, उनकी तस्वीर एक अलग नेता की है, जिसके लिए प्रतिद्वंद्वी गुटों को काबू में रखना मुश्किल हो रहा है। रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व की हालिया आलोचनाओं में रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव को निशाना बनाया गया है। मुख्य आलोचना वैगनर समूह (कथित रूप से एक ‘‘निजी’’ सैन्य कंपनी, लेकिन वास्तव में राज्य की एक सैन्य शाखा) के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन और रमजान कादिरोव, वर्तमान में रूस के चेचन गणराज्य के प्रमुख हैं, पर केंद्रित है। इस तरह की आलोचनाओं ने पुतिन के लिए समस्या पैदा कर दी है।

थक रही पुतिन की सेना
पुतिन ने इस कथन का समर्थन करके संघर्ष के मापदंडों को विस्तृत किया है कि वह न केवल यूक्रेन के साथ, बल्कि नाटो के साथ युद्ध में है। पुतिन के लिए एक और समस्या यह है कि यूक्रेन में पुतिन को युद्ध के मैदान में या सौदेबाजी की मेज पर समायोजित करने की संभावना नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि वह केवल रूस के ‘‘नए राष्ट्रपति’’ के साथ बातचीत करेंगे। उन्होंने यूक्रेन के युद्ध के उद्देश्यों को भी दुगना कर दिया है, जो उसके क्षेत्र की पूर्ण मुक्ति के बराबर है। केर्च ब्रिज पर जबर्दस्त हमला, जिसे कभी-कभी पुतिन की ‘‘क्रीमिया की जीत का प्रतीक’’ कहा जाता है, पुतिन का सीधा अपमान था, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से इसके निर्माण की देखरेख की थी। रूसी मनोबल को कमजोर करने की तुलना में, यह यूक्रेनियन के बीच इस भावना का भी प्रतीक है कि युद्ध का रूख बदल गया है। अंत में, यूक्रेन में रूस की सैन्य स्थिति अब निराशाजनक दिख रही है। उसकी सेना थक चुकी है और वे पीछे हट रही है। रूस के युद्ध की देखरेख के लिए सीरिया और चेचन्या में अंधाधुंध बमबारी का आदेश देने वाले जनरल - सर्गेई सुरोविकिन को नियुक्त करने का पुतिन का निर्णय उदासीन रहा है।

यूक्रेन के रिहायशी इलाकों में क्रूज मिसाइलों के हमले का उल्टा असर
यूक्रेन के रिहायशी इलाकों और बिजली उत्पादन सुविधाओं पर क्रूज मिसाइलों के बड़े हमलों की रणनीति का उलटा असर हुआ है: इसने यूक्रेनियन को लड़ने के लिए और ज्यादा प्रेरित कर दिया है, और विश्व स्तर पर इसे सुरोविकिन की झल्लाहट के रूप में देखा गया है। युद्ध के मैदान में जीत तो मिली नहीं और सुरोविकिन ने अब तक यूक्रेन की आबादी को निशाना बनाने के प्रयास में लगभग 40-70 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मिसाइल दाग दिए हैं। इसमें उन शहरों को पर भी हमले शामिल हैं, जिन्हें रूस ने कथित रूप से अपने क्षेत्र में मिला लिया था।

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