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अब 'दोस्त' तुर्किए ने भी दिया पाकिस्तान को झटका, कश्मीर को लेकर जैसा सोचा था वैसा तो बिलकुल नहीं हुआ

तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए इस बार कश्मीर का जिक्र नहीं किया। पाकिस्तान तुर्किए के इस रुख से हिल गया है। इस बार एर्दोआन ने गाजा के हालातों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: September 27, 2024 20:08 IST
Turkish President Tayyip Erdogan- India TV Hindi
Image Source : AP Turkish President Tayyip Erdogan

न्यूयॉर्क: तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद से पहली बार इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। इस साल दिए गए लगभग 35 मिनट के अपने संबोधन में उन्होंने गाजा की मानवीय संकट पर ध्यान केंद्रित किया, जहां हमास के खिलाफ इजरायल के हमलों में 40 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 

क्या बोले एर्दोआन?

संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस वर्ष अपने संबोधन में एर्दोआन ने गाजा में फलस्तीनियों की दशा की ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर आम लोगों को मौत से बचाने में नाकाम रहने का आरोप लागया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा, “दुनिया इन पांच से बड़ी है।” उन्होंने कहा, “गाजा बच्चों और महिलाओं की दुनिया की सबसे बड़ी कब्रगाह बन गया है।” उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रमुख देशों समेत पश्चिमी देशों से हत्याएं रोकने का आह्वान किया।

पाकिस्तान ने क्या कहा?

‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कश्मीर के संबंध में तुर्किए के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जेहरा बलोच ने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महज एक बयान से “कोई भी अनुचित निष्कर्ष” नहीं निकाला जाना चाहिए। बलोच ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को लेकर तुर्किए का रुख सिद्धांतों पर आधारित है। 

ब्रिक्स में शामिल होने की है कोशिश

एर्दोआन की ओर से कश्मीर का उल्लेख ना करने को तुर्किए के रुख में आए स्पष्ट बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब तुर्किए भारत समेत पांच देशों के समूह ब्रिक्स में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान की पूर्व राजनयिक और संयुक्त राष्ट्र में देश की राजदूत रह चुकीं मलीहा लोधी ने तुर्किए के रुख में आए स्पष्ट बदलाव पर टिप्पणी की है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “पिछले पांच वर्षों के विपरीत, (तुर्किए के) राष्ट्रपति एर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। उन्होंने 2019, 2020, 2021, 2022 और 2023 में ऐसा किया था।” 

एर्दोआन कई बार उठा चुके हैं मुद्दा

पाकिस्तान का समर्थन करने वाले एर्दोआन ने पहले कई बार कश्मीर मुद्दा उठाया है, जिसके चलते भारत और तुर्किए के बीच संबंधों में तनाव देखा जा चुका है। एर्दोआन ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा था, “एक और कदम, जिससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता व समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा, वह है भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत तथा सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायपूर्ण व स्थायी शांति की स्थापना।” 

भारत का स्पष्ट रुख

भारत एर्दोआन की टिप्पणियों को पूरी तरह अस्वीकार्य बताकर खारिज करता रहा है। भारत कहता रहा है कि तुर्किए को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और यह उसकी नीतियों में और ज्यादा गहराई से झलकना चाहिए।  (भाषा)

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