तुर्की: तुर्की-सीरिया में महातबाही को 8 दिन हो चुके हैं। जलजला अब तक 34 हजार से ज्यादा की जान ले चुका है और लाखों लोग घायल हैं। भारत समेत दुनिया के 65 से ज्यादा मुल्क तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। मलबे से लाशों का निकलना जारी है। तुर्की का कहरामनमारस शहर भूकंप से सबसे ज्यादा बेहाल है। यहां भारी तादात में हुई मौत के बाद शव दफनाने की जगह नहीं बची है जिसके चलते 5000 शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। इतना ही नहीं इन लाशों को दफनाने के लिए यहां मौजूद जंगल के एक हिस्से को काटकर कब्रिस्तान बनाया गया।
भूकंप के दिन आठ...मलबे के नीचे कितनी सांस?
यहां के कब्रिस्तान में एक साथ 5000 शवों को दफनाया गया और अभी भी शवों की लंबी कतार नजर आ रही है। जमीनों पर शव रखे गए हैं और लोग लाइन लगाकर इंतजार कर रहे हैं। यहां भारी तबाही के चलते मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है और हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अभी भी मलबा हटाने का काम जारी है और लाशों के निकलने का क्रम भी जारी है। मलबा हटाने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं लिहाजा मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
65 देशों की टीमें मदद में जुटीं
इस बीच भारत ने तुर्की और सीरिया दोनों देशों के लिए फिर से राहत सामाग्री भेजी है। तुर्की के अडाना और गाजियांटेप एयरबेस पर भारत का C-17 ग्लोबमास्टर राहत सामाग्री लेकर अब तक 7 बार उतर चुका है। तुर्की में इस वक्त 5 लाख 90 हजार लोग भूकंप की वजह से राहत शिविरों में रह रहे हैं। इनके खाने पीने की व्यवस्था तुर्की के साथ साथ दुनिया के कई देश भी कर रहे हैं। भारत ऐसे वक्त में तुर्की के इन विस्थापित लोगों की हर तरह से मदद कर रहा है फिर चाहे वो मेडिकल सेवा हो या फिर उनके खाने पीने के सामान। तुर्की में सर्दी भी कड़ाके की पड़ रही है लिहाजा इस बार जो ग्लोबमास्टर अडाना एयरबेस पर उतरा है उसमें कंबल भी है।
तुर्की और सीरिया में आए इस जानलेवा भूकंप में 65 से ज्यादा देश मदद कर रहे हैं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क कहा जाने वाला अमेरिका भी तुर्की में राहत सामग्री पहुंचाई है। अमेरिका ने तुर्की और सीरिया को 85 मिलियन डॉलर की मदद की है। तुर्की पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबा हुआ था। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन इन 8 दिनों में तो तुर्की में न केवल जिंदगी बेज़ार हुई है बल्कि भारी नुकसान भी हुआ है।