अंकारा: तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के झटकों से हर कोई परेशान है। भूकंप से हुई तबाही का मंजर बेहद ही डरावना है। सड़कों पर चीख-पुकार मची हुई है और अस्पताल घायलों से भरे पड़े हुए हैं। दुनिया का हर कोई देश पीड़ितों की मदद और बचाव अभियान के लिए आगे आ रहा है। कोई बचाव दल भेज रहा है तो कोई दवा और खाने पीने की वस्तुएं भेज रहा है। वहीं इस तबाही भरे मंजर के बीच वैज्ञानिक अभी और भी विनाशकारी झटके आने की उम्मीद जता रहे हैं।
वैज्ञानिक क्यों जता रहे अनुमान ?
भू वैज्ञानिकों का मनाना है कि दुनिया में कहीं भी जब इतनी तीव्रता और विनाशकारी भूकंप आता है तो उसके बाद भी ऐसे ही नुकसान पहुंचाने वाले ऑफ़्टरशॉक आते रहते हैं। जहां आज भूकंप की वजह से तबाही मची है वहां 13 अगस्त 1822 को भी ऐसे ही विनाशकारी झटके आए थे। उस दौरान इसकी तीव्रता 7.4 मापी गई थी, जबकि सोमवार को आए झटके की तीव्रता 7.8 मापी गई। उस समय भी भारी तबाही मची थी। इसमें भी हजारों लोगों की जान गई थी और इस घटना के साल भर बाद तक नुकसान पहुंचाने वाले ऑफ़्टरशॉक आते रहे थे।
क्यों आया इतना भयानक भूकंप ?
धरती के अंदर का भाग अलग-अलग प्लेटों से बना होता है, जो एक दूसरे से चिपकी हुई होती हैं। अक्सर ये प्लेटें खिसकती हैं और पास की प्लेटों से घर्षण होता है। कभी कभार तनाव इतना बढ़ जाता है कि एक प्लेट, दूसरी पर चढ़ जाती है जिससे सतह पर भी हलचल होती है। इस मामले में अरेबियन प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है और एनातोलियन प्लेट से इसका घर्षण हो रहा है और इतना विनाशकारी भूकंप आ आया और इसका परिणाम हम सभी के सामने है।
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