Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान में कोई संविधान नहीं, लागू हो शरिया... लोकल तालिबान 'TTP' ने पड़ोसी मुल्क को दी खुली धमकी, नहीं काम आएगा 'इस्लाम' पर रोना

पाकिस्तान की सरकार चाहती है कि टीटीपी नेतृत्व सेना के खिलाफ हिंसा छोड़े, अपने संगठन को भंग करे और अपने क्षेत्र में लौट आए। पाकिस्तानी मौलवियों ने टीटीपी नेताओं के आगे इस्लाम और कुरान तक का हवाला दिया है।

Written By: Shilpa
Published : Jul 27, 2022 15:02 IST, Updated : Jul 27, 2022 15:22 IST
TTP Pakistan FATA Afghanistan
Image Source : TWITTER TTP Pakistan FATA Afghanistan

Highlights

  • पाकिस्तान में शरिया कानून चाहता है टीटीपी
  • टीटीपी को मनाने की कोशिशों में लगा है पाकिस्तान
  • पाकिस्तान ने अफगानिस्तान भेजी मौलवियों की टीम

TTP Pakistan: पाकिस्तान की सेना को खून के आंसू रुकाने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) यानी देश के लोकल तालिबान ने खुली धमकी दी है। टीटीपी ने कहा है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना शरिया कानून में बताए गए रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान की सेना, न्यायपालिका और राजनेताओं ने शरिया कानून के बजाय संविधान को लागू किया है। बता दें पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए अफगानिस्तान पहुंचा हुआ है। पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का यह प्रतिनिधिमंडल शांति समझौते को लेकर टीटीपी के प्रतिनिधियों से बातचीत करेगा।

प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान नेतृत्व से मुलाकात की है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने अफगानिस्तान के तालिबान नेताओं अनवारुल हक, मुख्तारुद दीन शाह करबोघा शरीफ, हनीफ झालंदरी, शेख इदरीस और मुफ्ती गुलाम उर रहमान से मुलाकात की है। पाकिस्तानी सरकार और टीटीपी के बीच पिछले साल शुरू हुई शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए यह प्रतिनिधिमंडल अफगान सरकार के केंद्रीय नेतृत्व से भी मिलेगा। पाकिस्तान की सेना भी इस शांति वार्ता का समर्थन कर रही है। हालांकि इन मौलवियों को भी यहां निराशा हाथ लगी है। 13 मौलवियों की टीम ने टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली और अन्य तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है।

फाटा की मांग को छोड़ने का अनुरोध

इन मौलवियों ने टीटीपी से अनुरोध किया है कि जनजातीय क्षेत्र फाटा को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से अलग करने की मांग को छोड़ दें। हालांकि टीटीपी ने इनकी इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है। इस प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तानी सेना की ओर से देश की मांगों से अवगत कराया गया था। पाकिस्तान की सरकार चाहती है कि टीटीपी नेतृत्व सेना के खिलाफ हिंसा छोड़े, अपने संगठन को भंग करे और अपने क्षेत्र में लौट आए। पाकिस्तानी मौलवियों ने टीटीपी नेताओं के आगे इस्लाम और कुरान तक का हवाला दिया और कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ हिंसा करना धार्मिक रूप से सही नहीं है।

टीटीपी ने कई मांगें रखने की बात कही

मौलवियों की इन बातों के जवाब में टीटीपी ने कहा है कि उसने पाकिस्तानी वार्ताकारों के आगे कई तरह की मांग रखी हैं। टीटीपी के सूत्रों ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा है कि उन्हें सेना की मौजूदगी के बिना मौलवियों के आश्वासन पर कोई विश्वास नहीं है। उनका मानना है कि पाकिस्तान की असली शासक वहां की सरकार नहीं बल्कि सेना है। सूत्रों का कहना है कि टीटीपी नेतृत्व ने हिंसा रोकने के लिए आठ सूत्री मांगें रखी हैं और मौलवियों के अनुरोध को खारिज कर दिया है। पाकिस्तानी मौलवियों की यह टीम बुधवार तक काबुल में रहेगी और टीटीपी को मनाने की आखिरी कोशिश करेगी। हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है। टीटीपी ने कहा कि पाकिस्तान एक संधि के आधार पर बना था। यह संधि लागू नहीं हो रही है और इसमें सबसे बड़ी बाधा सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व है, जो उपनिवेशवाद की विरासत है।

फाटा पर राज करना चाहता है टीटीपी

दरअसल टीटीपी पाकिस्तान के कबायली इलाके फाटा पर राज करना चाहती है। उसका इरादा है कि किसी तरह पाकिस्तानी सेना को फाटा से हटा दिया जाए और इसे फिर से लॉन्च पैड बनाकर पूरे पाकिस्तान में हमले किए जाएं। टीटीपी का कहना है कि पाकिस्तान में चल रही शहबाज शरीफ की सरकार शरिया कानून के मुताबिक नहीं है। वे फाटा में तालिबान की तरह शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।

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