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नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड की बढ़ सकती है मुश्किल, RSP ने वापस लिया सरकार से समर्थन

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्हें समर्थन देने वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Feb 05, 2023 19:18 IST, Updated : Feb 05, 2023 19:18 IST
पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के पीएम
Image Source : PTI पुष्प कमल दहल प्रचंड, नेपाल के पीएम

नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्हें समर्थन देने वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। आरएसपी के अध्यक्ष रबी लामीछाने को नेपाल के गृहमंत्री के पद पर पुन: आसीन करने से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ द्वारा इनकार कर दिये जाने के बाद आरएसपी ने रविवार को देश के सत्तारूढ़ गठबंधन से हट जाने का फैसला कर लिया। इससे नेपाल की सियासत में नया मोड़ आ गया है।

क्या आरएसपी के समर्थन वापसी से प्रचंड की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है? नेपाल के 275 सदस्यीय सभा में 138 सदस्यों की जरूरत बहुमत के लिए जरूरी है। प्रचंड ने कुल 169 सदस्यों का समर्थन पत्र राष्ट्रपति को सौंपा था। आरएसपी के इनमें से 20 सदस्य शामिल हैं। अब 169 में से 20 सदस्य कम हो जाने के बाद प्रचंड के पास 149 सदस्यों का बहुमत शेष है। यानि की फिलहाल सरकार गिरने की कोई संभावना नहीं है। मगर यदि किसी दूसरे दल ने भी प्रचंड से हाथ खींचा तो उनकी कुर्सी खतरे में आ सकती है।

कुर्सी की जंग में लिया समर्थन वापस

आरएसपी के केंद्रीय सदस्यों एवं सांसदों की संयुक्त बैठक में नेपाल के सत्तारूढ़ दल से समर्थन वापसी का निर्णय लिया गया। लामीछाने (48) पिछले साल नवंबर में चुनाव में चितवन-2 निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार नेपाल के उच्चतम न्यायालय के 27 जनवरी के एक फैसले के बाद वह संसद की अपनी सदस्यता गंवा बैठे। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने जो नागरिकता प्रमाणपत्र जमा किया था वह अवैध है। इस अखबार के अनुसार ऐसे में उनका मंत्री पद एवं पार्टी अध्यक्ष पद भी चला गया, क्योंकि इन पदों पर आसीन रहने के लिए व्यक्ति का नेपाली नागरिक होना जरूरी है। इस अखबार के मुताबिक 29 जनवरी को उन्होंने पुन: नागरिकता हासिल की और उसके बाद प्रचंड से मिलकर उन्होंने मांग की कि उन्हें गृहमंत्री के पद पर पुन: आसीन किया जाए। मगर प्रधानमंत्री ने ऐसा करने से मना कर दिया।

उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री की कुर्सी पर थे
लामिछाने को पिछले साल 26 दिसंबर को नेपाल का उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री नियुक्त किया गया था। उससे पहले उनकी पार्टी आरएसपी संघीय चुनाव में 20 सीट जीतकर संसद में चौथी सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी थी। टेलीविजन हस्ती लामिछाने 2013 में सबसे लंबे समय के टॉकशो की मेजबानी कर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाने की कोशिश की थी और तब सुर्खियों में आये थे। लामिछाने ने आरएसपी की केंद्रीय समिति की संयुक्त बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अतीत में भी उन्हें कई विवादों में फंसाने की कोशिश की गयी, लेकिन वह उनसे बाहर आने में सदैव सफल रहे। गठबंधन सरकार से हटने के आरएसपी के फैसले का प्रधानमंत्री प्रचंड के राजनीतिक भविष्य पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अखबार के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही आरएसपी ने अपने मंत्रियों को वापस बुलाने का निर्णय ले लिया हो लेकिन पार्टी इस सरकार को समर्थन देती रहेगी।

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