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ये है शिया मुल्क, लेकिन शासक सुन्नी, इस्लाम पर उठे सवाल तो मुस्लिमों को ही मिली जेल, जानिए पूरा मामला

मानवाधिकार समूहों का कहना है कि पुरुषों को आजादी से बोलने और ‘मान्यता‘ के अधिकार को व्यक्त करने के लिए सताया जा रहा है। सोसाइटी ने कहा कि इस मामले ने उसके सदस्यों के खिलाफ हिंसा को हवा दे दी है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: April 01, 2023 17:33 IST
शिया मुल्क, लेकिन शासक सुन्नी, इस्लाम पर उठे सवाल तो मुस्लिमों को ही मिली जेल, जानिए पूरा मामला- India TV Hindi
Image Source : FILE शिया मुल्क, लेकिन शासक सुन्नी, इस्लाम पर उठे सवाल तो मुस्लिमों को ही मिली जेल, जानिए पूरा मामला

मुस्लिम देश बहरीन में इस्लामिक मुद्दों पर खुली चर्चा की पक्षधर एक धार्मिक और सांस्कृतिक सोसाइटी के तीन मेंबर्स को जेल की सजा सुनाई गई है। उन पर एक ऐसे कानून के तहत मुकदमा चलाया गया, जो बहरीन देश के किसी भी मान्यता प्राप्त धार्मिक ग्रंथ, कुरान और बाइबिल का ‘उपहास‘ करने को अपराध मानता है।मानवाधिकार समूहों का कहना है कि पुरुषों को  आजादी से बोलने और ‘मान्यता‘ के अधिकार को व्यक्त करने के लिए सताया जा रहा है। सोसाइटी ने कहा कि इस मामले ने उसके सदस्यों के खिलाफ हिंसा को हवा दे दी है। 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूट्यूब पर पोस्ट किए गए कार्यक्रमों की एक सीरीज में अल तजदीद सोसाइटी ने इस्लामिक कानूनी सिद्धांत और इस्लामिक मौलवियों के विचारों पर सवाल उठाए हैं। इस समूह में शिया मुस्लिम हैं जो बहरीन में बहुसंख्यक हैं। हालांकि देश का शासक परिवार सुन्नी मुस्लिम है। लेकिन प्रमुख शिया मौलवी संगठन के लिए ‘सबसे बड़े दुश्मन‘ रहे हैं। वे इसके काम को ईशनिंदा करार देते हैं और अल.तजदीद के सदस्यों का बहिष्कार करने की अपील करते हैं।

अभियोजन पक्ष ने कहा ‘धर्म की रक्षा के लिए मुकदमा‘

समूह के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया गया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि मामला ‘हमारे धर्म की रक्षा में‘ और ‘समाज के भीतर देशद्रोह‘ को रोकने के लिए लाया गया है। मामले में बहरीन कानून के तहत अधिकतम सजा की मांग की गई। अल तजदीद का मतलब अरबी में नवीनीकरण होता है। समूह ने अदालत में जवाब दिया, ‘विचारों को विचारों से चुनौती दी जानी चाहिए। शब्दों को कानून के अधिकार से दबाया नहीं जाना चाहिए।‘

एक साल की जेल और जुर्माना

अदालत ने तीन आरोपियों जलाल अल कसाब, रेधा रजब और मोहम्मद रजब को एक साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई। अल-तजदीद ने कहा है कि अदालती मामले ने मस्जिदों और सोशल मीडिया पर मौजूदा अभियान को तेज कर दिया है। इससे समूह के सदस्यों के खिलाफ मौखिक और शारीरिक हिंसा को बढ़ावा मिला है। मुकदमे के दौरान, ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोपों को हटाने और धार्मिक आधार पर समूह के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी को रोकने की अपील की थी।

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