Friday, November 22, 2024
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नेपाल के काठमांडू से हाईजैक हुआ था इंडियन एयरलाइंस का विमान, घटना के 24 साल बाद हुआ ये हैरतअंगेज खुलासा

नेपाल के काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस के विमान को आतंकियों द्वारा हाईजैक करके पाकिस्तान से दुबई होते हुए कंधार तक ले जाया गया था। इसमें 180 यात्रियों की जान खतरे में थी। विमान को चलाने वाले पायलट ने घटना के 24 साल बाद पताया है कि आतंकवादी विमान का अपहरण करने के बाद उन्हें क्या निर्देश दे रहे थे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 06, 2023 17:24 IST
24 साल पहले हाईजैक हुआ इंडियन एयरलाइंस का विमान- India TV Hindi
Image Source : FILE 24 साल पहले हाईजैक हुआ इंडियन एयरलाइंस का विमान

दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आइईसी-214 को नेपाल की राजधानी काठमांडू से आतंकियों द्वारा हाईजैन किए जाने की घटना को भला कौन भूल सकता है। उसका वक्त भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने भारतीय लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया था। मगर विमान के हाईजैक होने की असली स्क्रिप्ट कैसे लिखी गई और कैसे उसको अफगानिस्तान ले जाया गया। इससे जुड़े तमाम रहस्य अब तक छुपे रहे। मगर अब घटना के 24 साल बाद विमान अपहरण की इस घटना के रहस्यों से पर्दा उठ गया है। ...तो आइये आपको बताते हैं कि इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण की कहानी किसने, क्यों और कैसे लिखी?

इंडियन एअरलाइंस के विमान आईसी-814 को नेपाल के काठमांडू से हाइजैक किए जाने के 24 साल बाद उसके पायलट कैप्टन देवी शरण ने खुलासा किया है कि उन्होंने विमान को एक राजमार्ग पर आपात स्थिति में उतारने का नाटक कर लाहौर में हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) को डराने की गुप्त योजना बनाई थी। अभी तक ऐसा माना जाता था कि कैप्टन शरण, उनके सह-पायलट राजेंद्र कुमार और फ्लाइट इंजीनियर एके जग्गिया ने पाकिस्तानी प्राधिकारियों के फैसले के खिलाफ जाकर विमान को लाहौर हवाई अड्डे पर उतारने का फैसला किया था।  ऐसा करते वक्त उन्होंने एक राजमार्ग को रनवे समझ लिया था, क्योंकि रनवे की लाइट बंद कर दी गई थी। विमान राजमार्ग पर उतरने से बाल-बाल बचा था।

पायलट ने खोले हैरतअंगेज राज

दरअसल, चालक दल को जल्द ही पता चल गया था कि यह रनवे के बजाय राजमार्ग है और उसने तुरंत ऊपर की ओर उड़ान भर ली थी। जग्गिया ने 2003-04 में मीडिया को आईसी-814 के हाइजैक होने की कहानी सुनाते हुए बताया था कि जब एटीसी ने उन्हें हवाई अड्डे पर विमान उतारने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और रनवे तथा हवाई अड्डे की लाइट बंद कर दी थी, तो उनके पास अंधेरे में रनवे की तलाश करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि विमान में ईंधन बहुत कम बचा था। जग्गिया के अनुसार, ऐसा करते हुए उन्होंने विमान को एक राजमार्ग पर उतारने की कोशिश की थी, क्योंकि उन्हें आसमान से यह लंबा रास्ता किसी रनवे की तरह लगा था, लेकिन जब वे नीचे उतरते वक्त उसके करीब आए तो अचानक उन्हें पता चला कि यह तो कोई राजमार्ग है।

पायलट के पीछे खड़े थे दो आतंकवादी

जग्गिया ने बताया था, ‘‘पायलट ने बिना वक्त गंवाए फिर से उड़ान भर ली।’’ जग्गिया का कुछ साल पहले निधन हो गया था। कैप्टन शरण ने 31 जुलाई से पांच अगस्त तक ‘विमानन सुरक्षा संस्कृति सप्ताह’ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कॉकपिट में मेरे पीछे दो आतंकवादी खड़े थे और अगर मैं अपने सह-पायलट या चालक दल के सदस्य से कुछ भी कहता, तो वे सब कुछ समझ जाते। इसलिए मैंने कुछ चीजें अपने तक सीमित रखने का फैसला किया।’’ कैप्टन शरण ने कहा, ‘‘जब लाहौर एटीसी ने विमान को उतारने की अनुमति देने से इनकार कर दिया, तो मैंने विमान को आपात स्थिति में उतारने का नाटक करने की योजना बनाई, ताकि इससे उन पर रनवे की लाइट जलाने और हमें वहां विमान उतारने की इजाजत देने का दबाव बने।’’

पाकिस्तान से दुबई और फिर कंधार विमान को ले गए आतंकी

विमान में लगा ‘ट्रांसपॉन्डर’ नामक उपकरण एटीसी को लोकेशन की जानकारियां उपलब्ध कराता है और उनके अनुसार इस उपकरण की मदद से लाहौर एटीसी को लगा कि वह विमान को आपात स्थिति में उतारने जा रहे हैं। कैप्टन शरण ने कहा, ‘‘मुझ पर विश्वास कीजिए, मेरी योजना रंग लाई और मुझे एटीसी से तुरंत संदेश मिला कि रनवे खुला है और हमने वहां विमान को सुरक्षित उतारा।’’ कैप्टन शरण ने दावा किया कि अपने सह-पायलट और चालक दल को कभी इस गुप्त योजना के बारे में नहीं बताया था। गौरतलब है कि आईसी-814 को 24 दिसंबर 1999 को शाम चार बजे काठमांडू से उड़ान भरने के 40 मिनट बाद पांच आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था। विमान में सवार करीब 180 यात्री आठ दिन तक बंधक बने रहे थे। इस विमान ने काठमांडू से अमृतसर और फिर लाहौर की उड़ान भरी थी। लाहौर में विमान में फिर से ईंधन भरा गया और फिर यह दुबई रवाना हुआ। दुबई से यह कंधार गया, जहां 31 दिसंबर को सभी यात्रियों को मुक्त करा लिया गया।  (भाषा)

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