महंगाई और कर्ज से कंगाल हुआ पाकिस्तान यदि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता करने में कामयाब ना हुआ तो उसे दिवालिया होने से कोई नहीं बचा सकता। दरअसल पाकिस्तान आईएमएफ के साथ 1.1 अरब डालर के राहत पैकेज पर कर्मचारी स्तर का समझौता नहीं कर सका है। जबकि यह समझौता होना पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी है। यदि वह इसमें लगातार विफल रहता है तो पाकिस्तान का दिवालिया होना तय है।
दरअसल वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठकों के लिए वाशिंगटन जाने का अपना कार्यक्रम रद्द करने के एक दिन बाद शनिवार को कहा कि सात अरब डॉलर के आईएमएफ राहत कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा सही रास्ते पर है। जबकि अभी तक पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) 1.1 अरब डॉलर के राहत पैकेज पर कर्मचारी-स्तर का समझौता नहीं कर सके हैं। यह राशि 6.5 अरब डॉलर के उस राहत पैकेज का हिस्सा है, जिसे आईएमएफ ने 2019 में स्वीकृत किया था। विश्लेषकों का कहना है कि अगर पाकिस्तान को बाहरी ऋण देनदारियों पर चूक से बचना है तो यह पैकेज बहुत महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान को नहीं मिल रहा गारंटर
डार ने देश को संबोधित अपने भाषण में कहा कि किसी मित्र देश से एक अरब डॉलर की जमा राशि की पुष्टि होना ही आईएमएफ सौदे की राह में इकलौती अड़चन है। उन्होंने कहा, “पिछले दो हफ्तों में, हमारे एक मित्र देश ने आईएमएफ को दो अरब डॉलर के वित्तपोषण की पुष्टि कर दी है। अब हम केवल एक अन्य मित्र देश से एक अरब डॉलर की प्रतिबद्धता की पुष्टि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उसके बाद, कर्मचारी स्तर के समझौते को संपन्न करने की उनकी सभी शर्तें पूरी हो जाएंगी। इसके बाद, मामले को मुद्राकोष के निदेशक मंडल की बैठक में ले जाने में दो सप्ताह का समय लगता है।” हालांकि डार ने वित्तपोषण करने वाले मित्र देश के नाम नहीं बताए लेकिन स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने आईएमएफ को पाकिस्तान की मदद करने की प्रतिबद्धता दिखाई है।