पाकिस्तान की हालत कंगाल हो चुकी है। इस देश की इकोनॉमी डुबती नैया की तरह है। रोटी के लाले पड़े हैं। आम लोगों के भूखों मरने की नौबत आ गई है। पूरा पाकिस्तान बिजली की भारी कटौती झेल रहा है। पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार दुनिया से कर्ज मांग रही है। उधार चुकाने के लिए कर्ज मिलना मुश्किल हो रहा है। सरकार बेबस नजर आ रही है। ऐसे में पाकिस्तान को सिर्फ एक आस है तो वो आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से है। लेकिन पाकिस्तान के एक मंत्री ने चेतावनी दी है कि यदि पाकिस्तान आईएमएफ से मदद पाने के लिए उसके बेलआउट प्रोग्राम को मान लेता है तो पाकिस्तान में सड़कों पर दंग भड़क जाएंगे।
पाकिस्तान के योजना मंत्री इकबाल ने दी ये चेतावनी
पाकिस्तान की इकोनॉमी रसातल में जाने की ओर अग्रसर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आई है। इस कारण सामान से भरे हजारों कंटेनर बंदरगाहों पर अटके हैं। पाकिस्तान अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद के लिए उसके बेलआउट प्रोग्राम को स्वीकार करता है तो पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल के अनुसार सड़कों पर दंगे होंगे।
कपड़ा उद्योग पर भी बुरी मार पड़ी है। कपड़े के कारोबार के लिए दुनिया में मशहूर पाकिस्तान में कपड़ा निर्यात में आई गिरावट के कारण करीब 70 लाख श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया है, जिससे वहां का कपड़ा उद्योग पतन के कगार पर पहुंच गया है।
पाकिस्तान: सभी विभागों के खर्च में 15 फीसदी आई कमी
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर करीब 4 अरब डॉलर तक के स्तर पर ही रह गया है, जो कि फरवरी 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर रहा है। ताजा डेटा के अनुसार, पाकिस्तान में डिफेंस सेक्टर को छोड़कर अन्य सभी खर्चों मे 15 फीसदी की कमी आई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अन्य खर्चों के लिए जगह बनाने के लिए विकास खर्च में 50 फीसदी की कमी की गई है। पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज खर्च के रूप में 3.95 ट्रिलियन रुपये का बजट रखा था, लेकिन इसका 65% केवल छह महीनों में खर्च हो गया है।
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