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India Will Lead G-20 Summit:जी-20 के अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी दुनिया देखेगी भारत का दमखम, विदेश मंत्री ने वैश्विक एजेंडे को रखा सामने

India Will Lead G-20 Summit: क्वाड सम्मेलन से लेकर एससीओ और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में नए ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरते भारत का दमखम अब जी-20 सम्मेलन के दौरान भी दिखेगा। इस बार भारत ही जी-20 देशों की मेजबानी और अध्यक्षता कर रहा है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 25, 2022 17:00 IST, Updated : Sep 25, 2022 17:00 IST
India Will Lead G-20 Summit
Image Source : INDIA TV India Will Lead G-20 Summit

Highlights

  • नई दिल्ली में सितंबर 2023 में जुटेंगे 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष
  • खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, ऋण और पर्यावरण संरक्षण होगा मुख्य मुद्दा
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दखल का जवाब देगा भारत

India Will Lead G-20 Summit: क्वाड सम्मेलन से लेकर एससीओ और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में नए ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरते भारत का दमखम अब जी-20 सम्मेलन के दौरान भी दिखेगा। इस बार भारत ही जी-20 देशों की मेजबानी और अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने क्वाड सम्मेलन से लेकर एससीओ शिखर सम्मेलन और फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना वैश्विक इरादा जता दिया है। पूरी दुनिया जहां एक तरफ अपने-अपने व्यक्तिगत मुद्दों का यूएनजीए में रोना रोती रही तो वहीं भारत ने विभिन्न देशों की ओर से वैश्विक मुद्दों की तरफ सबका ध्यान खींचा और हर मुद्दे पर खुलकर बरसा। इससे पूरी दुनिया को भारत में अब एक नए ग्लोबल लीडर की छवि दिख रही है, जो खास तौर पर विकासशील देशों की आवाज बन रहा है।

जी-20 से पहले भारत ने स्पष्ट किया एजेंडा

भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि उनका देश ऋण, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण के गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए इस प्रभावशाली समूह के अन्य सदस्यों के साथ काम करेगा। जी-20 समूह दुनिया की विकसित एवं विकाशसील अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है। भारत एक दिसंबर, 2022 से लेकर 30 नवंबर 2023 तक के लिए जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत द्वारा दिसंबर, 2022 से पूरे देश में जी-20 की 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करने की संभावना है।

नई दिल्ली में सितंबर 2023 में जुटेंगे 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष
राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष के स्तर पर जी-20 नेताओं का सम्मेलन नयी दिल्ली में 9-10 सितंबर, 2023 को होने का कार्यक्रम है। जयशंकर ने शनिवार को यहां उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में अपने संबोधन में कहा, ‘‘ हम इस साल दिसंबर में जी-20 की अध्यक्षता शुरू कर रहे हैं और हम विकासशील देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों के प्रति संवेदनशील हैं।’’ उन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा कि भारत ऋण, आर्थिक वृद्धि, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और खासकर पर्यावरण के गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए जी-20 के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन के कामकाज में सुधार हमारी मूल प्राथमिकताओं में एक बना रहेगा।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दखल का जवाब देगा भारत
 जयशंकर ने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को भी अपने स्थायित्व एवं सुरक्षा को लेकर नयी चिंता है। उनकी टिप्पणी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन की आक्रामक कार्रवाई के बीच आयी है। उन्होंने कहा कि वैसे तो विश्व का ध्यान यूक्रेन पर केंद्रित है, लेकिन भारत को खासकर अपने पड़ोस में अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। परोक्ष रूप से उनका इशारा पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के अबतक तक नहीं सुलझने और पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंध की ओर था। उन्होंने कहा, ‘‘ उनमें से भले ही कुछ चुनौती कोविड महामारी एवं वर्तमान संघर्षों के चलते बढ़ गई हो. लेकिन वह मुश्किलों की गंभीरता को बयां करती है। कमजोर अर्थव्यवस्था में ऋणग्रस्तता भी खास चिंता का कारण है।

भारत कर रहा असाधारण कार्य
जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि ऐसे दौर में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संकीर्ण राष्ट्रीय एजेंडा से ऊपर उठना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ओर से इस असाधारण दौर में असाधारण कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम मानवीय जरूरतों में अंतराल को पाटते हैं तो राजनीतिक जटिलताएं अनसुलझी रह जाती हैं। भारत ने अफगानिस्तान में 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और दवाइयों और टीके की कई खेप भेजे। साथ ही, श्रीलंका को ईंधन, जरूरी वस्तुओं आदि के लिए 3.8 अरब डॉलर का ऋण दिया। म्यांमा को 10,000 मीट्रिक ट्रन की खाद्य सहायता एवं टीके उपलब्ध कराए। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ चाहे आपदा राहत हो या मानवीय सहायता, भारत खासकर अपने निकटतम पड़ोसियों की मदद करने में मजबूती से डटा रहा है।

ये देश जी-20 में प्रमुख रूप से शामिल
जी 20 देशों में प्रमुख रूप से भारत, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी 20 देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 85 फीसद हिस्से का योगदान करते हैं।

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