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Indo-China on LAC: दुनिया ने देखा 56 इंची सीने का दम, भारत की धमक से चीन हुआ बेदम...LAC की इनसाइड स्टोरी

Indo-China on LAC: पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से अचानक चीन अपने सैनिकों को हटाने लगा है। यह देख पूरी दुनिया हैरान है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra
Published : Sep 10, 2022 13:14 IST, Updated : Sep 10, 2022 13:34 IST
Indo-China Relation
Image Source : INDIA TV Indo-China Relation

Highlights

  • भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए चीन को रूस से करनी पड़ी सिफारिश!
  • ताइवान मसले पर अमेरिका से घिरे चीन को है भारत की जरूरत
  • चीन एलएसी से वापस हटा रहा अपने सैनिक

Indo-China on LAC: पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से अचानक चीन अपने सैनिकों को हटाने लगा है। यह देख पूरी दुनिया हैरान है। आखिर ऐसा क्या हो गया कि जिस चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए वर्ष 2020 में भारत के करीब 20 सैनिक एलएसी पर गलवान घाटी में शहीद हो गए थे और जिन चीनी सैनिकों की एलएसी के विवादित क्षेत्र में लगातार घुसपैठ और अवैध निर्माण से भारत व चीन के बीच तनातनी बढ़ रही थी, अब अचानक पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। चीन अपने सैनिकों की वापसी यूं ही नहीं कर रहा, बल्कि इसके पीछे उसे 56 इंची सीने का डर सता रहा है। आइए अब आपको बताते हैं कि पीएम मोदी ने ऐसा क्या कर दिया की ड्रैगन का दम घुटने लगा। इतना ही नहीं पल भर में चीन अपने सैनिकों को एलएसी से वापस बुलाने लगा है। 

दरअसल इन दिनों चीन ताइवान के मसले पर बुरी तरह फंस चुका है। ताइवान स्ट्रेट पर दावा करने वाले चीन को अमेरिका ने ऐसे ब्रह्मफांस में फंसा दिया है कि चीन को इस फांस से निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। चीन को पता है कि ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका के इस ब्रम्हफांस से ड्रैगन को दुनिया में अगर कोई देश बचा सकता है तो वह है भारत। मगर भारत चीन को ताइवान के मामले पर अमेरिका के प्रहार से कैसे बचाएगा ये जानना भी आपके लिए बेहद रोचक होगा। 

ताइवान पर भारत का साथ नहीं मिलने से होगी चीन की हार

भारत की बड़ी सीमा चीन से लगती है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ताइवान के मामले पर अमेरिका ने चीन की कड़ी घेरेबंदी कर दी है। चीन पूरी तरह अमेरिका के दबाव में है। इधर एलएसी पर चीन विवादित क्षेत्र में आपत्तिजनक हरकतें कर रहा था, जिससे भारत से उसकी तनातनी बढ़ रही थी। मगर इसी दौरान जब अमेरिका ने ताइवान के मामले में चीन को धमकाना शुरू किया तो उसे भारत से पंगा नहीं लेने में ही भलाई नजर आई। क्योंकि यदि ताइवान-चीन का युद्ध हुआ तो अमेरिका ताइवान की पूरी मदद करेगा। एलएसी पर चीन की हरकतों की वजह से तब भारत भी चीन के खिलाफ होकर अमेरिका और ताइवान की मदद करेगा। चीन की बड़ी सीमा भारत के साथ लगती है। ऐसे में बॉर्डर एरिया में भारत अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर चीन को इसी दौरान बड़ा तनाव दे सकता है। तब चीन के सैनिक ताइवान से लड़ने जाएंगे तो इधर चीन को आक्साई चिन पर भारत के कब्जे का डर सताता रहेगा। अन्य विवादित क्षेत्रों को भी भारत हथिया सकता है, जो वाकई भारत का हिस्सा है, लेकिन अभी चीन के अड़ियल रवैये से विवादित क्षेत्र में गिना जाता है। ऐसे में चीन को ताइवान और भारत से एक साथ लड़ना पड़ेगा। उधर अमेरिका भी चीन को बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़ेगा। इस प्रकार चीन के चारों खाने चित्त हो जाएंगे। इसलिए चीन को अब पीछे हटना पड़ रहा है। 

भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए चीन ने की रूस से सिफारिश
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत इस दौरान अमेरिकी नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों और रूस के नेतृत्व वाले पूर्वी देशों में समान पहुंच रखता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि भारत अपनी कूटनीति से पूरी दुनिया के देशों को साधे हुए है। आज भारत दुनिया के ताकतवर देशों में से एक है। वह दुनिया की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवस्था होने के साथ ही साथ विश्व की तीसरी बड़ी सेना वाला देश भी है। साथ ही पूरे विश्व के लिए सबसे बड़ा बाजार भी। मेक इन इंडिया का मंत्र अपनाने के बाद अब भारत अत्याधुनिक हथियार भी स्वयं बनाने लगा है। यानि भारत को अब अत्याधुनिक हथियारों के लिए भी किसी दूसरे देश पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं रह गई है। जबकि अमेरिका और रूस दोनों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर निर्भर हैं। रूस को तेल और गैस बेचना है। वहीं अमेरिका को अपने हथियार बेचना है। साथ ही चीन के खिलाफ अमेरिका को भारत जैसा मजबूत सहयोगी भी चाहिए। जब चीन को लगने लगा कि ताइवान मामले में भारत अमेरिका की मदद करेगा तो इधर वह रूस से सिफारिश करने लगा। 

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Image Source : INDIA TV
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रूस से संबंधों की वजह से भारत हुआ राजी
रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि रूस से गहरे संबंधों की वजह से ही भारत भी एलएसी से अपने सैनिक विवादित क्षेत्र से पीछे हटाने को राजी हुआ है। इसमें भारत और चीन दोनों ही देशों को फायदा है। ताइवान मामले पर फंसे होने के चलते चीन चाह रहा था कि रूस इस मामले में रूस भारत से बात करे। चीन को पता है कि भारत रूस का पक्का दोस्त है। इसलिए वह रूस की बात मान लेगा। इधर एलएसी पर गलवान हिंसा के बाद से ही भारत ने एलएसी पर भारी तादाद में अपने सैनिक तैनात कर रखे थे। यह देख चीन के पसीने छूट रहे थे। चीन अपने सैनिकों को एलएसी से वापस बुलाकर सिर्फ इस बात के लिए निश्चिंत होना चाहता है कि यदि ताइवान से उसका युद्ध छिड़ा तो भारत इसमें ताइवान या अमेरिका की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मदद नहीं करे। ताकि वह ताइवान से निपट सके। चीन को भारत की ताकत का पूरा अंदाजा है। 

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