पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय पूर्व पीएम इमरान खान समेत कई याचिकाकर्ताओं को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें नौ मई को हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार नागरिकों पर सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाने के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पूर्ण अदालत का गठन किये जाने का अनुरोध किया गया थ।ा। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीठ ने पूर्ण अदालत के गठन पर चर्चा की लेकिन इसके खिलाफ फैसला किया। पूर्ण अदालत के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली छह सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कई याचिकाकर्ताओं द्वारा ये याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान, पूर्व प्रधान न्यायाधीश जव्वाद एस ख्वाजा और पाकिस्तान श्रम शिक्षा और अनुसंधान संस्थान(पीआईएलईआर) के कार्यकारी निदेशक करामत अली शामिल थे। प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि अतीत में एक पूर्ण अदालत का गठन किया गया था, लेकिन वह ऐसी परिस्थितियों में कायम नहीं रह सकी।’’ न्यायमूर्ति बंदियाल ने कहा कि सितंबर तक वृहद पीठ उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘‘वृहद पीठ बनाकर मामले की सुनवाई करना असंभव’’ है।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने कही यह बात
न्यायमूर्ति बंदियाल ने कहा, ‘‘हम अपना काम जारी रखेंगे, चाहे किसी को यह पसंद हो या नहीं।’’ इसके बाद उन्होंने सैन्य अदालतों में नागरिकों के मुकदमे के बारे में मुख्य मामले की सुनवाई शुरू की। भ्रष्टाचार के एक मामले में अर्धसैनिक रेंजर्स द्वारा पीटीआई अध्यक्ष खान की गिरफ्तारी के बाद नौ मई को पाकिस्तान में राष्ट्रव्यापी सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री खान (70) को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। दंगों के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित कई सैन्य प्रतिष्ठान और सरकारी इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं या उनमें आग लगा दी गई थी। (भाषा)
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