नई दिल्लीः जी-20 सम्मेलन में भारत-चीन के बीच बनी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मौजूदा हालत का मुद्दा गर्माया रहा। भारत ने चीन के विदेश मंत्री किन कांग से सीमा के हालात और उसकी वजहों को लेकर न सिर्फ बात की, बल्कि कड़ी आपत्तियां भी दर्ज करवाई। आपको बता दें कि जून 2020 से ही भारत और चीन के बीच एलएसी के हालात बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। सबसे पहले चीन ने जून 2020 में गलवान घाटी में घुसपैठ का प्रयास किया था। भारतीय सैनिकों से इस दौरान सबसे हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि 40 से अधिक चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद नवंबर 2022 में भी चीन ने तवांग क्षेत्र में घुसपैठ का प्रयास दोहराया था, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें मारकर सीमा से भगा दिया था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत यात्रा पर आये चीन के विदेश मंत्री किन गांग से बृहस्पतिवार को वार्ता की, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के हालात पर ध्यान केंद्रित किया गया। जी-20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर यह चर्चा हुई। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘आज दोपहर में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की। हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया। किन दिसंबर में चीन के विदेश मंत्री बने थे, जिसके बाद उनकी जयशंकर के साथ यह पहली मुलाकात है।
जयशंकर ने करीब आठ महीने पहले बाली में जी-20 की एक बैठक से इतर तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। उन्होंने सात जुलाई को हुई एक घंटे की बैठक के दौरान वांग को पूर्वी लद्दाख में लंबित सभी मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत के बारे में बताया था। वांग पिछले साल मार्च में भारत आये थे। भारत और चीन ने गत 22 फरवरी को बीजिंग में प्रत्यक्ष राजनयिक वार्ता की थी और पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थित टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर ‘खुली और सकारात्मक चर्चा’ की थी।
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