प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इशारों ही इशारों में चीन को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि अपनी सामरिक स्वायत्तता बरकरार रखने और अपने उभरते कद के अनुरूप नई जिम्मेदारियां उठाने के मद्देनजर भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना और सैन्य उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता कम करना महत्वपूर्ण है। एक थिंक-टैंक ‘चाणक्य डायलॉग’ के अपने संबोधन में जनरल चौहान ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ इसकी ‘नरम शक्ति’ (सॉफ्ट पॉवर), तकनीकी प्रगति और अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए मजबूती से डटे रहने की क्षमता इसकी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति के उदय में योगदान दे रही है।
अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए मजबूती से डटे रहने की क्षमता संबंधी जनरल चौहान की टिप्पणी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पिछले तीन साल से चीन के साथ जारी गतिरोध के स्पष्ट संदर्भ में है। जनरल चौहान ने रक्षा में आत्मनिर्भरता के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सशस्त्र बलों की आयात निर्भरता को कम करना भारत के लिए अपनी सामरिक स्वायत्तता बनाए रखने और अपने आकार एवं अर्थव्यवस्था के अनुरूप नई जिम्मेदारियों को निभाने के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
सैन्य आत्म निर्भरता पर किया फोकस
सीडीएस ने कहा, ‘‘हमारे सशस्त्र बल सैन्य उपकरणों के लिए विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) पर बहुत अधिक निर्भर हैं। मेरा मानना है कि उभरते हुए भू-राजनीतिक माहौल में ऐसी स्थिति टिकाऊ नहीं है।’’ वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल का हवाला देते हुए जनरल चौहान ने कहा कि जापान, ब्रिटेन, रूस, चीन, जर्मनी, पोलैंड, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देश अपने रक्षा बजट में काफी वृद्धि कर रहे हैं और यह स्थिति सैन्य उपकरणों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा निर्माताओं के लिए इस स्थिति का लाभ उठाने का अवसर है।