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बांग्लादेश में मंदिर पर हमले का मामला, जानिए क्या था कारण, किसने क्या दावा किया?

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक मंदिर को कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है। कट्टरपंथियों ने मंदिर में तोड़फोड़ की और लूटपाट की। जानिए बांग्लादेश में मंदिर पर हमले का क्या है मामला, क्या था कारण, किसने क्या दावा किया?

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 19, 2022 11:59 IST
Bangladesh Temple Attack- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Bangladesh Temple Attack

ढाका। बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक मंदिर को कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है। कट्टरपंथियों ने मंदिर में तोड़फोड़ की और लूटपाट की। इस मामले में राधाकांता इस्कॉन मंदिर के पुजारी कृष्ण दास ने आरोप लगाया है कि मंदिर पर उत्तेजित भीड़ के हमले के दौरान उनके दो सहायक घायल हो गए हैं। वहीं घटना के पीछे ज़मीन से जुड़ा विवाद बताया जा रहा है। स्थानीय धार्मिक संगठनों ने इस हमले का विरोध किया है। हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा है कि यह हमला मंदिर की ज़मीन को लेकर एक स्थानीय प्रभावशाली वर्ग से विवाद के कारण हुआ है। वहीं पुलिस का कहना है कि मारपीट के आरोप सही नहीं है।

पुलिस के मुताबिक मंदिर की पुरानी दीवारें तब ढह गईं जब ज़मीन के मालिकाना हक़ वाला एक पक्ष वहां मरम्मत का काम करवा रहा था। हालांकि कथित हमले के बाद मंदिर की सुरक्षा में पुलिस तैनात कर दी गई है। यह मंदिर पुराने ढाका के वारी इलाक़े में है और 16 कट्ठे ज़मीन पर स्थित है। अधिकारियों के मुताबिक़ ये मंदिर 200 साल पुराना है।

घटना को लेकर अलग-अलग दावे

गुरुवार को मंदिर में हुए घटनाक्रम को लेकर अलग-अलग दावे हैं। मंदिर के पुजारी कृष्ण दास का आरोप है कि गुरुवार की शाम कुछ लोगों ने मंदिर की चारदीवारी तोड़ दी। उनका दावा है कि जब मंदिर प्रशासन के दो सदस्य इसका विरोध करने गए तो उनके साथ मारपीट की गई।उनका आरोप है कि मंदिर की चारदीवारी तोड़ने के बाद कुछ उपद्रवी मंदिर परिसर में घुस गए थे और निर्माण कार्य के लिए आया लोहे का सरिया और एक मूर्ति ले गए।

वहीं हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद की एक टीम ने शुक्रवार को मंदिर का दौरा किया। परिषद का कहना है कि मंदिर की चारदिवारी टूटी है लेकिन मूर्ति लूटे जाने का कोई सबूत नहीं मिला है। परिषद के संयुक्त महासचिव मोनिंदर कुमार नाथ और 6 सदस्यों ने मंदिर का दौरा किया था।

उन्होंने कहा कि मंदिर के जीर्ण-शीर्ण दीवार का एक हिस्सा हमलावरों ने तोड़ दिया था और इस दौरान मंदिर के दो सहायक घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि हमलावरों के मंदिर के भीतर किसी और घटना की कोई सूचना नहीं मिली है।

क्या बताई जा रही हैं वजह?

इस घटना के पीछे ज़मीन विवाद की बात सामने आ रही है। मोनिंदर नाथ कहते हैं कि एक स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति कई सालों से मंदिर के एक हिस्से पर अपना दावा कर रहा है। इसे लेकर पुराना विवाद है जो अभी निबटा नहीं है।

वे दावा करते हैं कि मंदिर की ज़मीन पर अपना दावा करने वाले व्यक्ति से जुड़े लोगों ने ही हमला किया था और चारदिवारी के एक हिस्से को तोड़कर ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की थी। मंदिर के पुजारी कृष्ण दास भी कुछ इस तरह की बात ही बताते हैं। हालांकि स्थानीय पुलिस मंदिर पर किसी भी तरह के हमले से इनकार कर रही है।

वारी थाने के प्रभारी कबीर हुसैन का कहना है कि मंदिर पर हमले के आरोप सही नहीं हैं। कबीर हुसैन के मुताबिक एक स्थानीय कारोबारी हाजी सफीउल्लाह मंदिर के पास स्थित एक स्थान पर अपने स्वामित्व का दावा करते हैं। कबीर हुसैन का कहना है कि निर्माण कार्य के दौरान प्राचीन दीवार का कुछ हिस्सा गिर गया था। वहीं मंदिर प्रशासन का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई मुक़दमा दर्ज नहीं किया है।

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