म्यांमार। भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट के विरोध पर सेना द्वारा ज्यादतियों का दौर जारी है। म्यांमार के यांगोन में सैन्य तख्तापलट के बाद से ही इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद सेना द्वारा तबाही की जा रही है। लोकतंत्र का समर्थन करने वाले भिक्षुओं के गांव को आग के हवाले कर दिया गया था। जानिए वहां के हालात क्या हैें, क्यों अमेरिका म्यांमार सेना की कार्रवाई को सबसे बड़ा नरसंहार मान रहा है।
लोकतंत्र समर्थक भिक्षुओं के गांव को म्यांमार सेना ने पिछले साल 2021 में आग पहले आग के हवाले कर दिया था। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस गांव के लोग सैन्य जुंटा के विरोधी और लोकतंत्र के समर्थक हैं। सेना ने इसका बदला लेने के लिए बिन सहित करीब 100 गांवों और कस्बों को आग में झोक दिया। विरोध का दमन करने के लिए सैन्य जुंटा के 100 जवानों ने 5500 से अधिक आबादी वाले बिन गांव मे आग लगी दी गई। इससे शहर का बड़ा इलाका खाक हो गया।
आग के बाद बचे तबाही के अवशेष
आग के कारण बिन कस्बे में गोल्डन स्तूपों के पास तबाही के अवशेष ही बचे हैं। सेना के कहर की तस्वीर एक पत्रकार ने फरवरी में अपने कैमरे में कैद की। अमेरिका इसे अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार मान रहा है। उल्लेखनीय है कि म्यांमार में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेट्रिक पार्टी की नेता आंग सान सू की सरकार का तख्तापलट कर जुंटा सेना ने फरवरी, 2021 में सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
- 52 हजार से अधिक लोग सगैंग और मैगवे प्रांतों से इस साल अब तक पलायन कर चुके हैं।
- 2017 में सेना ने हजारों घर रोहिंग्याओं के जला दिए थे, उन्हें देश से भागना पड़ा।
- 26 लेखकों को जुंटा शासन ने जेलों में बंद कर दिया बीते साल। ये लोकतंत्र समर्थक माने जाते हैं।