डेरा इस्माइल खान (पाकिस्तान): पाकिस्तान में सेना के कर्नल का उस वक्त अपहरण हो गया, जब वह अपने पिता के जनाजे में शामिल होने के लिए कुछ लोगों को इंतजार कर रहे थे। आतंकियों ने कर्नल के साथ उनके 3 अन्य लोगों को भी अपहृत कर लिया। अन्य लोग कर्नल के रिश्तेदार थे। आतंकियों को यह नहीं पता था कि कर्नल अपने पिता के जनाजे में शामिल होने वाले थे। कर्नल के अपहरण से पाकिस्तानी सेना में हड़कंप मच गया। सूत्रों के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि जब आतंकियों को इस बात कि जानकारी हुई कि कर्नल अपने पिता के जनाजे में जा रहे थे, तो उन्होंने सबको रिहा कर दिया। मगर अभी तक इस वजह से बंधकों के मुक्त होने को किसी ने प्रमाणित नहीं किया है।
आतंकवादियों ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ रह चुके डेरा इस्माइल खान से तीन दिन पहले अपहृत एक सैन्य अधिकारी सहित चार लोगों को शनिवार को मुक्त कर दिया। पाकिस्तानी सेना ने यह जानकारी दी। सेना ने बताया कि आतंकवादियों ने लेफ्टिनेंट कर्नल खालिद अमीर को बुधवार को उस समय अगवा कर लिया था, जब वह अपने पिता के जनाजे में शामिल लोगों का मस्जिद में इंतजार कर रहे थे। सेना ने एक बयान में कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल खालिद और उनके तीन रिश्तेदारों की “बिना शर्त रिहाई” कबायली बुजुर्गों के दखल के कारण मुमकिन हो पाई और “चारों अपहृत लोग सुरक्षित अपने घर लौट गए हैं।”
अपहरण के बाद क्या पिघल गया आतंकियों का दिल
सवाल यह है कि क्या वाकई अपहरण के बाद कर्नल को तकलीफ में जानकर आतंकियों का दिल पिघल गया, इस बारे में पाकिस्तानी सेना ने कोई जवाब नहीं दिया है। मगर बिन शर्त रिहाई से हर कोई हैरान है। सेना ने घटना के संबंध में कोई अन्य जानकारी नहीं दी। उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के अशांत डेरा इस्माइल खान इलाके में एक सैन्य अधिकारी और उसके तीन रिश्तेदारों के अपहरण की घटना की किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली थी। हालांकि, अपहरण के कुछ घंटों बाद जारी वीडियो बयान में दो अपहृत लोग यह कहते हुए नजर आए थे कि वे पाकिस्तानी तालिबान के कब्जे में हैं। वे वीडियो में सरकार से अपहरणकर्ताओं की सभी मांगें मानने का अनुरोध करते भी नजर आए।
हालांकि, वीडियो में मांगें स्पष्ट नहीं की गई थीं। पाकिस्तान में टीटीपी अक्सर सुरक्षा बलों को निशाना बनाता है, लेकिन अपहरण और रिहाई की इस तरह की घटनाएं दुर्लभ हैं। टीटीपी अफगान तालिबान से अलग संगठन है, लेकिन दोनों के बीच गहरे रिश्ते हैं। वर्ष 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद से टीटीपी का हौसला बढ़ा है। (एपी)
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