पेशावर: अफगानिस्तान की सीमा से सटे पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बृहस्पतिवार-शुक्रवार की दरमियानी रात को आतंकवादियों ने सुरक्षा चौकी पर हमला किया। आतंकियों की ओर से सुरक्षा चौकी को निशाना बनाकर किए गए इस हमले में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हुए हैं। अधिकारियों ने इस आतंकी हमले के बारे में जानकारी दी है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़
अधिकारियों के मुताबिक आतंकवादियों के एक समूह ने दक्षिणी वजीरिस्तान जिले की लाढा तहसील में मिश्ता गांव स्थित एक जांच चौकी पर हमला किया जिसमें छह सुरक्षाकर्मी मारे गए जबकि 11 अन्य घायल हो गए। आधिकारिक सूत्र ने बताया कि आतंकवादियों को पकड़ने या फिर मार गिराने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा एक अन्य घटना में दक्षिणी वजीरिस्तान जिले के ही अजाम वरसाक इलाके में शुक्रवार को आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ हुई जिसमें सात आतंकवादी मारे गए जबकि दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं।
पहले भी हुए हैं हमले
गौरतलब है कि, यह पहला मौका नहीं है जब आतंकियों ने सुरक्षा चौकी को निशाना बनाया है। इससे पहले बीते महीने (अगस्त 2024) भी खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने सुरक्षा चौकी पर हमला किया था। इस हमले में कम से कम सात पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे। यह हमला पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर स्थित तिराह घाटी में हुआ था।
पाकिस्तान ने पड़ोसी देश पर मढ़ा दोष
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, पाकिस्तान लंबे समय से कहता रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों के ठिकाने अफगानिस्तान के अंदर मौजूद हैं और इसके लड़ाके पाकिस्तानी जमीन पर हमला करने के बाद वहां चले जाते हैं। हालांकि, तालिबान सरकार ने इस दावे का हमेशा खंडन किया है। तालिबान सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में टीटीपी की मौजूदगी का कभी सबूत नहीं दिया है। इस्लामाबाद को अपनी कमजोरियों के लिए अफगानिस्तान को दोष नहीं देना चाहिए। (भाषा)
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