Highlights
- 50,000 चीनी मजदूर 1860 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निर्माण करेंगे
- चीन ने 50 साल पहले तजारा को आर्थिक मदद देने का फैसला किया था
- यह प्रोजेक्ट दरअसल 50 साल से अटका हुआ था
TAZARA Railway Project: चीन सरकार ने फैसला किया है कि वह तंजानिया-ज़ाम्बिया रेलवे (तजरा) के पुनर्निर्माण में मदद करेगी। यह परियोजना अफ्रीका में सबसे बड़ी विदेशी सहायता प्राप्त परियोजना होगी। चीन के सिविल इंजीनियरिंग निर्माण निगम को परियोजना का अध्ययन करने के लिए कहा गया है। इस बात की जानकारी जांबिया स्थित चीनी दूतावास ने दी है। इस प्रोजेक्ट के बाद आशंका जताई जा रही है कि चीन अब अफ्रीका को अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है और इसमें वह काफी हद तक कामयाब होता नजर आ रहा है। यह प्रोजेक्ट दरअसल 50 साल से अटका हुआ था। अब चीन इसे दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है। जाम्बिया में चीनी राजदूत लुसाका डू शियाओहुई ने कहा कि "चीन जाम्बिया और तंजानिया के अनुरोध पर रेलवे लाइन को फिर से शुरू करने का प्रयास कर रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि चीनी सरकार इस रेलवे ट्रैक को जल्द से जल्द बनाने के लिए जाम्बिया और तंजानिया की सरकारों के साथ चर्चा करेगी। इसके अलावा चीन के विदेश मंत्री वांग वाई ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह तंजानिया-जाम्बिया रेलवे को फिर से सक्रिय करने के फैसले का स्वागत करते हैं।
इस परियोजना से रूस और अमेरिका हुए अलग
चीन ने 50 साल पहले तजारा को आर्थिक मदद देने का फैसला किया था। माओ से-तुंग उस समय देश के राष्ट्रपति थे और उन्होंने यह फैसला अपने प्रधानमंत्री झाहू एनलाई के साथ मिलकर लिया था। उस समय चीन एक नया देश था और खुद आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था। लुसाका हमेशा इस रेलवे लिंक को शुरू करने के लिए बहुत उत्सुक था। उन्होंने इसे कई बार आजमाया और आखिरकार अपने प्रयास में सफल हुए। इस परियोजना का जिम्बाब्वे ने विरोध किया था। वहीं जाम्बिया का मुख्य रूप से तांबा का निर्यात करता है। यह स्पष्ट है कि चीन की निगाहें इस पर टिकी हैं। चीन ने इस परियोजना के लिए ऐसे समय में हाथ बढ़ाया जब अमेरिका और रूस इससे अलग हो गए। दोनों देशों ने कहा कि नई रेलवे लाइन के लिए आर्थिक मदद देना समझदारी नहीं है। तज़ारा 1970 और 1975 के बीच बनाया गया था। उस समय इसकी लागत कई बिलियन डॉलर थी। इस रेलवे ट्रैक के पुनर्निर्माण में 50,000 चीनी मजदूर 1860 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निर्माण करेंगे।
इस रास्ते से हिंद महासागर में प्रवेश करेगा चीन
जाम्बिया से तंजानिया के दार-ए-सलाम तक चलेगी यह रेलवे लाइन। यह बात एक बार फिर डराने वाली है क्योंकि दार-ए-सलाम बंदरगाह हिंद महासागर पर स्थित है। अगर ऐसा हुआ तो चीन नए रास्ते से हिंद महासागर में पहुंच जाएगा। इस परियोजना को फ्रीडम रेलवे नाम दिया गया था क्योंकि उस समय जाम्बिया के राष्ट्रपति केनेथ कौंडा और तंजानिया के राष्ट्रपति जूलियस न्येरेरे दोनों स्वतंत्र देशों के पहले प्रमुख बने थे। पांच दशक बाद भी जब यह परियोजना अटकी तो दोनों देश फिर चीन चले गए। पिछले साल दार-ए-सलाम बंदरगाह पर 55 लाख टन माल उतारा गया था।