Highlights
- तालिबान ने भारत संग व्यापार की इच्छा जताई
- विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का कई बार लिया नाम
- तालिबान ने खुद को भारत के लिए बताया जरूरी
India Taliban: तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए एक साल से अधिक का वक्त हो गया है। इस दौरान भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। हालांकि अफगानिस्तान के नए प्रमुख तालिबान का रुख अब भारत के प्रति काफी नरम दिखाई दे रहा है। ये बात अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के हालिया बयान से पता चलती है। तालिबान सरकार में विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान अपना निर्यात करता है, ठीक वैसे ही अफगानिस्तान भी अपना निर्यात बढ़ाना चाहता है।
मुत्तकी के अनुसार, तालिबान सभी देशों के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। उन्होंने ये बातें कांधार में एक कार्यक्रम के दौरान कही हैं। उन्होंने कांधार में आदिवासी नेताओं के सामने बोलते हुए एक बड़ा बयान भी दिया है। मुत्तकी ने कहा कि 20 साल बाद भी कई देशों के साथ लड़ाई चल रही है और स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं हुई है। मुत्तकी के अनुसार, अगर पाकिस्तान अपना सामान एशिया के देशों में भेज सकता है। तो ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान को भी अपना निर्यात भारत में करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
बताया क्यों जरूरी है तालिबान
मुत्तकी ने कहा, 'अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के होते हुए उज्बेकिस्तान तक सामान पहुंचाने में भारत की काफी मदद की है और हमारी भूमिका काफी जरूरी हो जाती है।' उन्होंने आदिवासी नेताओं को शुक्रिया कहते हुए उन्हें भाई कहकर संबोधित किया। मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान ने इतिहास में आजादी के कई महान क्षण देखे हैं, जो किसी सम्मान से कम नहीं हैं। लेकिन ऐसे में हमें उन लोगों का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए, कि आज हम देश में भाइयों की तरह रह रहे हैं।
भारत ने खोला अपना दूतावास
हाल में ही जब भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब अफगानिस्तान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बाल्खी ने एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा, 'अफगानिस्तान काबुल में भारत के राजनयिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के फैसले का स्वागत करता है। सुरक्षा सुनिश्चि करने के साथ ही हम राजनयिकों की सुरक्षा और सहयोग की दिशा में काम करेंगे।' एक साल पहले जब 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सरकार गिर गई थी और वहां तालिबान का शासन स्थापित हुआ था, तब भारत ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। अधिकारी आधी रात को दूतावास छोड़कर काबुल से नई दिल्ली आ गए थे।
विशेषज्ञों के अनुसार, एक साल पहले जब अफगानिस्तान की सरकार गिरी थी, तब भारत इससे खुश नहीं था। लेकिन बीते महीने ही भारतीय अधिकारी काबुल गए थे। यहां उन्होंने तालिबानी नेताओं से मुलाकात की है। भारत ने भी काबुल में मानवाधिकार से जुड़े कार्यों को समर्थन देने के उद्देश्य से अपना दूतावास आंशिक तौर पर खोल दिया है।